नई दिल्ली: देश की सर्वोच्च अदालत ने कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन के दौरान सरकारी आदेश बावजूद अपने कर्मचारियों को पूरा वेतन नहीं देने वाले नियोक्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग पर फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने नियोक्ताओं के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया है। कर्मचारियों की सैलरी पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से 4 सप्ताह में जवाब देने के लिए कहा है।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि तब तक उद्योगों पर किसी तरह की दंडात्मक कार्रवाई न की जाए। अदालत ने कहा कि राज्य सरकार के श्रम विभागों के कर्मचारियों और नियोक्ताओं को सुविधा प्रदान करने के लिए वार्ता की जाएगी। उल्लेखनीय है कि गृह मंत्रालय ने एक सर्कुलर जारी करते हुए तमाम कंपनियों और नियोक्ताओं को निर्देश दिया था कि वे अपने यहां कार्यरत सभी श्रमिकों और कर्मचारियों को बिना किसी कटौती के लॉकडाउन की मियाद में पूरे पारिश्रमिक का भुगतान करें।
श्रम एवं रोजगार सचिव ने भी सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखा था जिसमें नियोक्ताओं को यह हिदायत देने के लिये कहा गया था कि कोरोना वायरस महामारी के काल में वे अपने कर्मचारियों को नहीं हटायें ओर न ही उनका पारिश्रमिक कम करें।
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