नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी अदालत में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सरहदों पर आंदोलन कर रहे किसानों को फ़ौरन हटाने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने की याचिका पर सुनवाई की गई। इस दौरान याचिकाकर्ता ने दिल्ली की सरहदों पर डटे किसानों को हटाने के लिए शाहीन बाग मामले का जिक्र किया।
इस पर भारत के प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि, कानून-व्यवस्था के मामले में कोई मिसाल नहीं दी जा सकती है। वहीं, सुनवाई के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने इस संबंध में केंद्र और पंजाब-हरियाणा की राज्य सरकारों को नोटिस भेजा है। इस मामले पर अगली सुनवाई कल कि जाएगी। प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यम की खंडपीठ ने किसान संगठनों को पक्षकार बनाने की इजाजत दी।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को कहा है कि वह इस मुद्दे का समाधान करने के लिए भारत में किसान यूनियनों के प्रतिनिधि, सरकार और अन्य हितधारकों समेत एक समिति का गठन करें। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि यह जल्द ही एक राष्ट्रीय मुद्दा बन जाएगा और सरकार के माध्यम से यह सुलझता हुआ नजर नहीं आ रहा है।
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