नई दिल्ली: आधार कार्ड को सरकारी योजनाओं के उपयोग को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा राहत देने से अभी मना कर दिया गया है। सर्वोच्च न्यायालय ने अपनी सुनवाई के दौरान कहा कि आधार कार्ड के दौरान निजता का अधिकार आखिर कैसे प्रभावित हो सकता है। यह स्पष्ट किया जाए। इस मामले में तीन जजों की बेंच ने कहा कि यह मामला संविधान पीठ के दायरे में लाया गया है। न्यायालय ने यह अपील भी की कि आधार कार्ड को लेकर अंतरिम आदेश दिए गए। जिसमें यह कहा गया कि पीडीएस व्यवस्था के तहत आधार कार्ड को अनिवार्य किया गया था।
कोर्ट द्वारा केरोसीन के ही साथ एलपीजी में भी आधार कार्ड को लागू किए जाने की अनुमति दे दी गई थी। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार द्वारा अटाॅर्नी जनरल मुकुल रोहतगी द्वारा यह भी कहा गया कि 92 करोड़ आधार कार्ड बनाया गया है। आधार कार्ड द्वारा देश के करोड़ों गरीबों तक पहुंचने की बात को एक माध्यम कहा गया है।
न्यायालय द्वारा यह भी कहा गया कि किसी के भी बेडरूम में जासूसी नहीं की जा सकेगी। मिली जानकारी के अनुसार देश के 6 लाख गांवों में आधार कार्ड के माध्यम से सरकार पहुंचती है। इससे लोगों को कई तरह के लाभ होते हैं। एलपीजी सिलेंडर्स पर मिलने वाली सब्सिडी भी 15 हजार करोड़ रूपए बचाए गए।
प्रधानमंत्री जनधन योजना की सफलता में आधार कार्ड की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। बूढ़े और लाचारों तक घर पर पेंशन पहुंची है। सेबी द्वारा इस मामले में यह भी कहा गया है कि हवाला और काले धन को काबू में रखने के लिए आधार कार्ड को आवश्यक कहा जा रहा है। बाजार पर ध्यान देने के लिए इसे प्रभावशाली कहा गया है।