सार्वजनिक स्थलों की सूरत ना बिगाड़े राजनितिक दल - सुप्रीम कोर्ट
सार्वजनिक स्थलों की सूरत ना बिगाड़े राजनितिक दल - सुप्रीम कोर्ट
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नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को तमिलनाडु सरकार से कहा है कि राजनीतिक दलों को प्रचार के लिए सार्वजनिक स्थलों के विरूपण की इजाजत नहीं दी जा सकती. मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगाई, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने तमिलनाडु सरकार से कहा कि वे पहाड़ियों, पर्वतों, चट्टानों और सार्वजनिक स्थलों जैसे प्राकृतिक संसाधनों का स्वरुप बदलने को रोकने के संबंध में उठाए गए कदमों के बारे में दो सप्ताह में अदालत को सूचित करे.

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बेंच ने इस मामले की सुनवाई शुरू होते ही कहा है कि, ‘‘हम राजनीतिक दलों के नारों और विज्ञापनों के साथ सार्वजनिक स्थलों एवं संपत्तियों के विरूपण की इजाजत  नहीं देंगे.’’ शीर्ष अदालत ने समूचे तमिलनाडु में सड़कों के किनारे डिजिटल बैनर लगाने से राजनीतिक पार्टियों को रोकने की मांग करने वाली परमार्थ संगठन ‘इन डिफेंस ऑफ एनवायरोनमेंट एंड एनीमल्स’ की याचिका पर 11 जनवरी को केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस भेजे थे.

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वहीं आज सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या भूमि पर मालिकाना हक के मसले को सुलझाने के लिए मध्यस्थता की इजाजत दे दी है. अयोध्या मामले को सुलझाने के लिए मध्यस्थों की जो समिति बनी है उनमें जस्टिस कलीफुल्ला, वकील श्रीराम पंचू और आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर शामिल हैं. इस समिति के चेयरमैन जस्टिल खलीफुल्ला हैं. इस समिति को 8 हफ्तों में अपनी रिपोर्ट अदालत में पेश करनी होगी.  

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