मजदूरों का हक छीनने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को लगाई फटकार
मजदूरों का हक छीनने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को लगाई फटकार
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धुप में दो जून की रोटी के लिए अपने पसीने का सौदा करने वाले मजदूरों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत काम करने वाले मजदूरों को एक पखवाड़े (15 दिन) के भीतर उनकी मजदूरी देने के लिए उचित कार्यवाही करे ऐसा नहीं करने पर मजदुर को मुआवजा लेने का हक़ है, जो मजदुर ले सकता है. 

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस मदन बी. लोकूर और जस्टिस एनवी रमण की पीठ ने इस बारे में सुनवाई करते हुए मनरेगा में काम करने वाले मजदूरों के पक्ष में एक बड़ा फैसला सुनाया है. पीठ ने कहा कि 'हम यह साफ करते हैं और निर्देश देते हैं कि क़ानून और अनुसूची दो के तहत एक मजदूर काम किए जाने की तिथि से दो हफ्तों (एक पखवाड़े) के भीतर अपना मेहनताना पाने का हकदार है, जो अगर नहीं दिया जाता है तो मजदूर कानून की अनुसूची दो के अनुच्छेद 29 के अनुसार मुआवजा पाने का हकदार है.’

बता दें, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार और ग्रामीण विकास मंत्रालय की गलती मानी जाएगी,इस मामले में केंद्र सरकार अपनी गलती मान चुकी है. केंद्र की मोदी सरकार मजदूरों को उनका जरुरी मेहताना समय पर देने में असफल रही है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में ग्रामीण विकास मंत्रालय को कुछ जरुरी बदलाव करने के भी आदेश दे चूका है. 

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