व्यभिचार से सबरीमाला तक, पिछले पांच दिनों में सुप्रीम कोर्ट ने लिए ये ऐतिहासिक फैसले
व्यभिचार से सबरीमाला तक, पिछले पांच दिनों में सुप्रीम कोर्ट ने लिए ये ऐतिहासिक फैसले
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 वर्ष की आयु के बीच महिलाओं के प्रवेश को अनुमति देते हुए इस सप्ताह का अपना अंतिम फैसला सुनाया.  यह भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के नेतृत्व वाली बेंच का पिछले पांच दिन में सुनाया गया 20वां अहम् फैसला था. 22 से 28 सितंबर के सप्ताह में तय किए गए मामलों में राजनीति के आपराधिकरण, भारत के पुराने व्यभिचार कानून में निहित भेदभाव, राम जन्मभूमि के धार्मिक पहलू, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की नागरिक स्वंतंत्रता, सरकार की महत्वाकांक्षी पहचान परियोजना आधार की वैधता और 10 और 50 साल की उम्र के बीच महिलाओं के प्रवेश पर सबरीमाला मंदिर में प्रवेश जैसे फैसले मुख्य फैसले शामिल हैं.

सबरीमाला मंदिर में अब महिलाएं कर सकेंगी प्रवेश

25 सितंबर-  याचिकाओं में ऐसे राजनेताओं के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी, जिनके खिलाफ चार्ज शीट दाखिल हो चुकी हो, इस पर फैसला सुनाते हुए में सीजेआई ने राजनीति के बढ़ते अपराधीकरण पर चिंता व्यक्त की लेकिन कहा कि अदालत इस मामले में क़ानून नहीं बना सकती, इस मामले पर संसद को ही कानून बनाना चाहिए.

26 सितंबर -, मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व वाले खंडपीठ ने नौ फैसले दिए, जिसमें आधार कार्ड की अनिवार्यता के बारे में और अदालती कार्यवाही  का सीधा प्रसारण करने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया गया. 

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27 सितंबर - सीजेआई दीपक मिश्रा ने देश के पुरातन व्यभिचार कानून धारा 497 को रद्द करने के फैसले को लिखा, इस धारा में पतियों को पत्नी के स्वामी के रूप में देखा जाता था, लेकिन मुख्य न्यायाधीश ने इस धारा को रद्द करते हुए विवाह के इतर संबंध को व्यभिचार की श्रेणी से मुक्त कर दिया. इसी दिन अदालत ने बहुचर्चित अयोध्या मामले में 1994 के फैसले को सही ठहराते हुए उस पर पुनर्विचार करने से इंकार कर दिया था.

न्यायमूर्ति मिश्रा पांच न्यायाधीशीय खंडपीठ का भी हिस्सा थे जिन्होंने आधार की अनिवार्यता में कुछ संशोधन करते हुए आधार परियोजना को सही ठहराया था, यद्यपि उन्होंने इस मामले में फैसला नहीं लिखा था, लेकिन उन्होंने न्याय ए के सिकरी द्वारा लिखे गए बहुमत के फैसले से सहमति व्यक्त की थी. 

कानूनी विशेषज्ञों और समर्थकों का कहना है कि अदालत द्वारा पिछले पांच दिनों में लिए गए फैसले अभूतपूर्व हैं. सुप्रीम कोर्ट के वकील अनिल मिश्रा ने कहा कि मैंने अपने करियर में ऐसा कभी नहीं देखा कि एक मुख्य न्यायाधीश ने अपने सेवानिवृत्त होने के पहले आखिरी सप्ताह में इतने सारे महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं. लेकिन यह पृष्ठभूमि में भी देखी जानी चाहिए कि उन्होंने उस बेंच का नेतृत्व किया जिन्होंने पिछले साल कई महत्वपूर्ण मुद्दों को सुना है. आपको बता दें कि मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा 2 अक्टूबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं, उनकी जगह वरिष्ठ न्यायमूर्ति रंजन गोगोई मुख्य न्यायाधीश का पद संभालेंगे.

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