काॅमन सिविल कोड पर SC ने किए सरकार से सवाल
काॅमन सिविल कोड पर SC ने किए सरकार से सवाल
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नई दिल्ली : काॅमन सिविल कोड को लेकर आखिरकार सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार से सवाल कर ही लिए। दरअसल समान नागरिक संहिता को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार को सबसे बड़ा एजेंडा माना जा रहा है। जिसमें कहा गया है कि देश में अलग-अलग पर्सनल लाॅ हैं। जिससे कई तरह के भ्रम की स्थिति बनती है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से इस मामले में अपना रवैया स्पष्ट करने और इसे जल्द लागू करने को लेकर सवाल किए हैं। 

उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार द्वारा समान नागरिक संहिता की बात कर कानूनों को कम और सरल करने की बात कही गई थी। सरकार ने अपने चुनावी एजेंडे में कहा था कि अलग अलग पर्सनल लाॅ से संशय और भ्रम पैदा होता है। जिसके कारण एक जैसा कानून बनाया जाएगा। 

दरअसल सर्वोच्च न्यायालय द्वारा क्रिश्चियन डायवोर्स एक्ट की धारा 10 ए (1) को चुनौती देने की याचिका को लेकर सुनवाई की गई। दिल्ली के अलबर्ट एंथोनी ने इस मामले में याचिका दायर करते हुए कहा कि इस मामले में उन्होंने दलील दी है और ईसाई दंपती को तलाक के लिए 2 वर्ष तक अलग-अलग रहने की वांछनीयता की बात कही है। हिंदू मैरिज एक्ट में कहा है कि पति-पत्नी एक साल से अलग रहने पर तलाक ले सकते हैं।

यही नहीं एक ही मामले में दो तरह की व्यवस्थाऐं गलत हैं। इस मामले में यह भी कहा गया कि सरकार धारा 10 ए (1) को बदलने पर रज़ामंद हो गई थी। इस मामले में न्यायालय द्वारा कहा गया कि सरकार ने समान नागरिक संहिता की बात तो की लेकिन अभी तक इस पर कोई कार्य नहीं किया है। 3 माह बाद भी नियमों को बदला ही नहीं गया है।

जिस पर सरकारी वकील ने सरकार से समय की मांग की है। सरकारी वकील के जवाब से न्यायालय खुश नहीं हुआ और उन्होंने कहा कि साॅलीसिटर जनरल रंजीत कुमार से सहायता करने की अपील की है। सभी धर्मों के लिए तलाक लेने के एक जैसे नियम को लेकर सरकार की स्थिति के बारे में पूछा गया। इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति विक्रमजीत सेन और न्यायमूर्ति शिवकीर्ति की बेंच द्वारा की गई। 

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