नई दिल्ली: जैन समुदाय के पर्यूषण पर्व के दौरान मंदिर न खोलने के महाराष्ट्र सरकार के निर्णय के खिलाफ दाखिल की गई एक याचिका पर सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने सवाल खड़े किए हैं. शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र सरकार के रवैये पर सवाल उठाए हैं. देश के प्रधान न्यायाधीश (CJI) शरद अरविंद बोबड़े ने महाराष्ट्र सरकार से कहा कि आप मॉल, बाजार, शराब की दुकान को खुलने दे रहे हैं क्योंकि वहां से आमदनी होती है, किन्तु जब धार्मिक कारण से मंदिर जाने की बात आती है, तो आप कोरोना का हवाला देकर मन्दिर खोलने से मना कर देते हैं.
दरअसल, जैन समुदाय के पर्यूषण पर्व को लेकर 15 से 23 अगस्त तक मंदिरों को खोलने की इजाजत मांगी थी, किन्तु महाराष्ट्र सरकार ने इससे मना कर दिया. राज्य सरकार का कहना है कि इससे कोरोना महामारी के संक्रमण का प्रसार हो सकता है, जिससे लोगों की मौत हो सकती है. इस मामले को लेकर बांबे उच्च न्यायालय में याचिका लगाई गई थी. कोर्ट से अनुरोध किया गया था कि राज्य सरकार को एक समय में मंदिरों में केवल "10 से 20" लोगों को अनुमति देने पर विचार करने के लिए निर्देश दिए जाएं.
वकील शाह ने कहा है कि, ''मंदिर का ट्रस्ट यह तय करेगा कि 20 से अधिक लोग भीतर प्रवेश न करें.'' कोर्ट ने हालांकि कहा कि वह अभी राज्य सरकार के फैसले में दखल नहीं देना चाहती. कोर्ट ने कहा कि, ''हम तमाम समुदायों की समान रूप से परवाह करते हैं. हम आपकी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं.'' इसके बाद मामला शीर्ष अदालत पहुंचा.
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