नई दिल्लीः देश में सोशल मीडिया को बढ़ते गलत उपयोग पर सुप्रीम कोर्ट सख्त हो गया है। इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को तलब किया है। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को हलफनामे के जरिए यह बताने के लिए कहा है कि आखिर वह कब तक दिशानिर्देश या नियम बनाने जा रही है, जिससे फेसबुक, व्हाट्सएप आदि सोशल मीडिया प्लेटफार्म को आपत्तिजनक पोस्ट के बारे में जानकारी मांगने के लिए बाध्य किया जा सके। सोशल मीडिया के दुरुपयोग से आहत शीर्ष अदालत के एक जज ने तो यहां तक कहा कि वह स्मार्टफोन का उपयोग बंद करने का सोच रहे हैं।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ ने मंगलवार को कहा कि गाइडलाइंस या नियम बनाना सरकार का काम है न कि सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट का। पीठ ने कहा कि गाइडलाइंस बनाने में लोगों की निजता के साथ-साथ देश की संप्रभुता का ध्यान रखा जाना चाहिए। पीठ ने कहा कि सरकार द्वारा इस संबंध में पॉलिसी बनाने के बाद ही अदालत उस पर गौर कर सकती है कि वह कानून और संविधान के मुताबिक है या नहीं है।
अदालत ने केंद्र सरकार को इस संबंध में तीन हफ्ते में हलफनामा दाखिल कर बताने के कहा कि फेसबुक, व्हाट्सएप आदि सोशल मीडिया प्लेटफार्म से आपत्तिजनक पोस्ट के बारे में जानकारी कैसे हासिल की जा सकती है। पीठ ने सुनवाई की अगली तारीख 22 अक्तूबर तय की है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनावाई के दौरान कठोर टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार को नेट की नहीं देश की चिंता करनी चाहिए।
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