अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को संरक्षित रखने के लिए अमेरिका-चीन का सहयोग जरूरी
अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को संरक्षित रखने के लिए अमेरिका-चीन का सहयोग जरूरी
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वाशिंगटन : द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जापानी आक्रमण के खिलाफ चीन-अमेरिका एकजुटता को याद करते हुए अमेरिका में चीन के राजदूत कूई टियान्कई ने युद्ध के बाद अस्तित्व में आई अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को संरक्षित रखने के लिए दोनों देशों के बीच सहयोग को जरूरी बताया और उनसे इस दिशा में संयुक्त प्रयास करने का आह्वान किया। 'यूएसए टुडे' में प्रकाशित लेख में कुई ने इस आशंका को खारिज किया कि चीन मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था और अमेरिका के वैश्विक नेतृत्व को चुनौती देने की कोशिश कर रहा है।

उन्होंने कहा, "तथ्य यह है कि चीन ने शांतिपूर्ण विकास मार्ग पर आगे बढ़ते हुए और सुधारों को अपनाते हुए अभूतपूर्व विकास हासिल किया है। चीन को मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था से लाभ हुआ है और यह इस तरह की व्यवस्था का सरपरस्त रहा है।" चीन ने गुरुवार को द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति की 70वीं बरसी के मौके पर सैन्य परेड का आयोजन किया था। कुई ने दोहराया कि चीन और अमेरिका ने मिलकर जापानी आक्रमणकारियों को हराने में भूमिका निभाई थी।

कुई ने कहा कि 1945 की जीत ने मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था की नींव रखी थी। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अस्तित्व में आए संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में अंतराष्ट्रीय संबंधों को संचालित करने वाले सिद्धांतों, यथा- संप्रभु समानता, सामूहिक सुरक्षा, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और साझा विकास आदि का स्पष्ट तौर पर उल्लेख किया गया। उन्होंने कहा, "ये साझा मूल्य कभी चलन से बाहर नहीं होंगे। ये अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने में अब भी मुख्य भूमिका निभाते हैं।"

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