नई दिल्ली : 14 नवंबर को आने वाली कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर जहां चंद्र देवता की पूजन अर्चन होगी वहीं पवित्र नदियों में स्नान करने भी श्रद्धालु बड़ी संख्या मंे पहुंचेंगे। इस अवसर पर चंद्र दर्शन करने का भी महत्व शास्त्रों में बताया गया है। यूं तो चांद धरती से बहुत दूरी पर होता है और धरती के नजदीक होने की कल्पना तक नहीं की जा सकती, लेकिन इस बार के पूनम का चांद धरती के बेहद नजदीक होगा।
खगोल विज्ञान से जुड़े विद्वानों की यदि माने तो यह प्रकृति का करिश्मा है और ऐसा नजारा अब 70 वर्ष बाद ही देखा जा सकेगा। वैज्ञानिकों ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा पर निकलने वाला चांद सामान्य दिनों की अपेेक्षा 14 प्रतिशत बड़ा और तीस प्रतिशत से अधिक चमकीला दिखाई देगा और धरती से बेहद नजदीक भी होगा। इस तरह का नजारा बमुश्किल ही दिखाई देता है।
इसलिये दिखाई देगा नजदीक
नासा के वैज्ञानिकों ने बताया कि जब सूर्य चंद्रमा और धरती एक साथ एक ही कतार में आते है तो उसे सिंजिगी माना जाता है इस कारण चंद्रमा बहुत नजदीक और चमकदार दिखाई देता है।