Movie Review : संघर्ष और जीत की कहानी है Super 30
Movie Review : संघर्ष और जीत की कहानी है Super 30
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फिल्म निर्देशक विकास बहल ऋतिक रोशन के साथ आनंद कुमार की बायोपिक लेकर आये हैं जिसके लिए फैंस काफी समय से इंतज़ार कर रहे थे. ये आज रिलीज़ हो चुकी है तो जानते हैं कैसा रहा इसका पब्लिक रिव्यु. 

फिल्म: सुपर 30
कलाकार: ऋतिक रोशन, पंकज त्रिपाठी, मृणाल ठाकुर
मूवी टाइप: बायॉग्रफी,ड्रामा
अवधि: 2 घंटा 42 मिनट
निर्देशक: विकास बहल
रेटिंग: 3/5

कहानी : सुपर 30 की शुरूआत होती है फ्लैशबैक के साथ. आनंद कुमार पटना के गणित के वैसे टीचर हैं, जिन्होंने निचले तबके के अति अभावग्रस्त कुशाग्र बच्चों को फ्री कोचिंग देकर आईएआईटी में उनके दाखिले का मार्ग प्रशस्त किया. जिस वक्त शिक्षा मंत्री श्रीराम सिंह (पंकज त्रिपाठी) आनंद कुमार (रितिक रोशन) को गणित की प्रतियोगिता के लिए रामानुजन मेडल दे रहे होते हैं, उस वक्त भी आनंद कुमार की निगाहें बगल में खड़े लड़के के हाथ की किताब पर होती है. कहानी आगे बढ़ती है और आनंद कुमार को अपनी बुद्धिमता और कड़ी मेहनत के बल पर कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में एडमिशन के लिए बुलावा आता है, मगर गरीबी उसका रास्ता रोक लेती है. बेटे को कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी न भेज पाने का गम आनंद कुमार के डाकिया पिता (वीरेन्द्र सक्सेना) को खा जाता है और उसके पेट की आग बुझाने के लिए उसे पापड़ तक बेचने पड़ते हैं. उसकी प्रेमिका रितु (मृणाल ठाकुर) भी उससे मुंह मोड़ लेती है. फिर एक दिन आनंद कुमार को लल्लन जी (आदित्य श्रीवास्तव) अपनी कोचिंग क्लासेज का स्टार टीचर बना कर पेश करते हैं और तब आनंद कुमार के गरीबी के दिन अमीरी की ऐश में बदल जाते हैं, मगर एक दिन उसे अहसास होता है कि वह सिर्फ राजा के बच्चों को राजा बनाने में लगा हुआ है. इसके बाद शुरू होती है आनंद कुमार की असली कहानी. जिसे देख सकते हैं फिल्म में. 

निर्देशन : निर्देशक विकास बहल की फिल्म का फर्स्ट हाफ काफी सधा हुआ है, मगर सेकंड हाफ में कहानी थोड़ी मेलोड्रमैटिक होकर खिंच जाती है. उन्होंने आनंद कुमार से जुड़े विवादों को अपनी कहानी से दूर ही रखा है, अतः उनसे जुड़े आरोपों का फिल्म में कोई जवाब नहीं मिलता. इसमें कोई शक नहीं कि आनंद कुमार के जीवन के संघर्षों, परिवार के साथ उनके जज्बाती रिश्तों और गरीब बच्चों को रास्ते से उठाकर आईआईटियंस बनाने के जज्बे को वे अपने निर्देशन के जरिए बखूबी निभा ले गए हैं. 

एक्टिंग : रितिक रोशन आनंद कुमार के किरदार के सत्व को समझकर उसमें पूरी तरह से घुलमिल गए हैं. लेकिन  सुपर स्टार को टैन और डी-ग्लैम अवतार में देसी भाषा बोलते देखते हैं, तो थोड़ा अलग लगता है, मगर फिर रितिक अपने समर्थ अभिनय के बल पर किरदार और कहानी के साथ तारतम्यता साध लेते हैं.  

मृणाल ने छोटी-सी भूमिका में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है. नंदीश सिंह प्रणव कुमार की भूमिका में एकदम फिट बैठे हैं. शिक्षा मंत्री के रूप में पंकज त्रिपाठी ने खूब मनोरंजन किया है. पिता के रूप में वीरेन्द्र सक्सेना का अभिनय दिल को छू जाता है. आदित्य श्रीवास्तव, अमित साद और विजय वर्मा ने अच्छा काम किया है. 

म्यूजिक : अजय-अतुल के संगीत में उदित नारायण और श्रेया घोषाल का गाया, 'जुगरफिया' गाना मधुर बन पड़ा है. रेडियो मिर्ची के चार्ट पर यह गाना दसवें पायदान पर है. 

क्यों देखें : अंडरडॉग्ज के संघर्ष और उनकी जीत का जश्न मनाने वाली इस कहानी को जरूर देखें.

क्यों ना देखें : कंगना रनौत की फिल्म क्वीन से विकास बहल जबरदस्त सुर्खियां बटोरने में कामयाब रहे थे. लेकिन इस बार फिल्म में कुछ वैसा नहीं कर पाए. 

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