सूना घर - दुष्यंत कुमार
सूना घर - दुष्यंत कुमार
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सूना घर...
सूने घर में किस तरह सहेजूँ मन को।

पहले तो लगा कि अब आईं तुम, आकर
अब हँसी की लहरें काँपी दीवारों पर
खिड़कियाँ खुलीं अब लिये किसी आनन को।

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