लाजवाब है ग्वालियर का सूर्य मंदिर

लाजवाब है ग्वालियर का सूर्य मंदिर
Share:

ग्वालियर : क्या आपने कोणार्क का सूर्य मंदिर देखा है। यदि आपने यह मंदिर नहीं देखा है और आप कोणार्क तक नहीं पहुंच सकती हैं, तो चिंता की कोई बात नहीं आप चले आईए हिंदुस्तान के दिल में। जी हां, मध्यप्रदेश। मध्य्रपदेश के ग्वालियर संभाग में एक ऐसा सूर्य मंदिर बनाया गया है जिसे देखकर आपकी सूर्य मंदिर देखने की सारी हसरतें दूर हो जाऐंगी। 


 

करीब हर 55 किलोमीटर पर पाई जाने वाली विविधता, अकूत जल भंडार और समृद्ध प्रकृति के साथ खुशहाल लोगों के लिए पहचाना जाने वाला ग्वालियर का सूर्य मंदिर बेहद लोकप्रिय है। यह मंदिर अत्यंत भव्य और सुंदर है। अतिप्राचीन स्थापत्यकला को यह बहुत ही सुंदर तरीके से वर्णित करता है। सूर्य मंदिर का निर्माण यूँ तो आधुनिक काल में वर्ष 1988 में ही हुआ था मगर मंदिर की बनावट देखकर यह 16 वीं शताब्दी के स्थापत्य की तरह लगता है। मंदिर बहुत ही भव्य है। 

 

बिड़ला ने करवाया निर्माण 

 

ग्वालियर का यह सूर्य मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र तो है ही साथ ही यह प्रदेश का एक प्रमुख पर्यटन स्थल भी है। इसका निर्माण देश के लोकप्रिय उद्योगपति जीडी बिड़ला ने करवाया था। यह मंदिर ओडि़शा के कोणार्क मंदिर की तरह नज़र आता है। मंदिर का स्थापत्य देखकर परमार, प्रतिहार, तोमर जैसे राजपूत वंशों की यादें ताजा हो जाती हैं। 

 

मंदिर के स्तंभों पर आकर्षक नक्काशी की गई है तो दूसरी ओर भगवान गणेश और अन्य प्रतिमाऐं मंदिर को आकर्षक बनाती हैं। लाल पत्थर से निर्मित यह मंदिर दूर से देखने पर टेराकोटा से निर्मित कलाकृतियों का अद्भुत आकर्षण बिखेरता है। मंदिर में भगवान सूर्य विराजमान हैं। 

 

रथ की तरह है मंदिर 

 

ग्वालियर का सूर्य मंदिर भगवान अग्निगर्भ के रथ का प्रतीक है। इस मंदिर में इस तरह की स्थिति दर्शाई गई है जिसमें भगवान आदित्य अपने सात घोड़ों के रथ पर सवार हैं। 

 

भगवान के रथ के 7 घोड़े समय का प्रतीक हैं तो वहीं रथ में लगे पहियों में दर्शाई गई आरियां भी मानव को संदेश प्रदान करती हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि रथ के पहियों में मोटी पतली आरियां हैं जिनका अपना - अपना महत्व है। मंदिर बाहर से देखने पर मंदिर और रथ की तरह प्रतीत होता है। जिसे अश्व खींचते हुए बताए गए हैं। भगवान सूर्य के ये 7 अश्व भी मानव को संदेश प्रदान करते हैं। मंदिर का शिखर प्राचीन भारतीय शैली के तहत निर्मित है लेकिन गर्भगृह में इसका सिरा नीचे की ओर भी जाता है। यह मंत्रों की सिद्धि के लिए उपयुक्त स्थान को दर्शाता है। 

 

अनोखा है घंटा नाद 

 

भगवान सूर्य को पूर्व में पर्वत के समान और पश्चिम में अग्र के समान बताया गया है। भगवान सूर्य ज्योतिष गण के सम्राट बताए गए हैं। भगवान कौंशुमान के इस मंदिर में घंटा नाद विशेष प्रकार से किया जाता है। घंटानाद करने के लिए घंटा काफी उंचाई पर लगाया गया है। घंटे को हल्की चेन के माध्यम से खींचा जाता है और घंटा बजता है। यह घंटानाद मंदिर में विशेष शक्ति का निर्माण करता है। 

 

सफेद संगमरमर

 

ग्वालियर के मुरार में प्रतिष्ठापित इस सूर्य मंदिर की भीतरी खूबससूरती को अंदर से सफेद संगमरमर द्वारा उभारा गया है। मंदिर का बाहरी परिसर जितना सुंदर दिखाई देता है भीतरी परिसर भी उतना ही सुंदर, भव्य और आध्यात्मिक नज़र आता है।

Disclaimer : The views, opinions, positions or strategies expressed by the authors and those providing comments are theirs alone, and do not necessarily reflect the views, opinions, positions or strategies of NTIPL, www.newstracklive.com or any employee thereof. NTIPL makes no representations as to accuracy, completeness, correctness, suitability, or validity of any information on this site and will not be liable for any errors, omissions, or delays in this information or any losses, injuries, or damages arising from its display or use.
NTIPL reserves the right to delete, edit, or alter in any manner it sees fit comments that it, in its sole discretion, deems to be obscene, offensive, defamatory, threatening, in violation of trademark, copyright or other laws, or is otherwise unacceptable.
Share:

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -