एक ऐसा खौफनाक हादसा...जिसने ले ली जनरल बिपिन रावत की जान
एक ऐसा खौफनाक हादसा...जिसने ले ली जनरल बिपिन रावत की जान
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बिपिन रावत देश के प्रथम चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ है। 1 जनवरी 2020 को बिपिन रावत को प्रथम चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के रूप में चुना गया था। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनने से पूर्व बिपिन रावत थलसेना प्रमुख भी रह चुके है। दरअसल आज ही के दिन यानी 8 दिसंबर 2021 को उनका हेलीकॉप्टर क्रैश होने की वजह से उनकी जान चली गई। 

16 मार्च 1958 को उत्तराखंड के पौड़ी में CDS जनरल बिपिन रावत का जन्म हुआ था। बिपिन रावत के परिवार के कई लोग भारतीय सेना से जुड़े हुए थे। बिपिन रावत के पिता लेफ्टिनेंट जनरल लक्ष्मण सिंह रावत थे। पिता के सेना में होने की वजह से बिपिन रावत का पूरा बचपन फौजियों के मध्य ही बीता है। CDS बिपिन रावत ने कैंब्रियन हॉल स्कूल, देहरादून और सेंट एडवर्ड स्कूल, शिमला से अपनी पढ़ाई को पूरा किया था। जिसके उपरांत बिपिन रावत अमेरिका चले गए और उन्होंने अमेरिका के सर्विस स्टाफ कॉलेज से अध्ययन पूरा किया। उन्होंने हाई कमांड कोर्स भी किया है।

मेरिका से लौटने के उपरांत बिपिन रावत 16 दिसंबर 1978 को इंडियन आर्मी में शामिल हो गए। बिपिन रावत को सबसे पहले गोरखा 11 राइफल्स की 5वीं बटालियन में चुना गया। उनकी  प्रथम पोस्टिंग मिजोरम में की गई थी और उन्होंने इस बटालियन का नेतृत्व भी किया। इस बीच उनकी बटालियन को उत्तर पूर्व की सर्वश्रेष्ठ बटालियन चुन लिया गया। बिपिन रावत को ऊंचाई वाले क्षेत्रों में लड़ाई का खासा अनुभव था और उन्होंने 10 वर्ष तक आतंकवाद रोधी अभियानों का संचालन किया था।

बिपिन रावत ने अपने करियर के बीच कई बटालियन में कार्य किया है। बिपिन रावत ने आर्मी के III Corps, GOC-C Southern Command, IMA Dehradun, Military Operations Directorate जैसे विभिन्न अहम् विभागों के लिए कार्य किया। बिपिन रावत ने इंडिया के अतिरिक्त इंटरनेशनल लेवल पर भी अपनी सेवायें प्रदान की है। वह कांगो के UN Mission के भागीदार थे। इस बीच उन्होंने 7000 लोगों की जान भी बचाई थी। जनरल रावत ने 1999 में  पाक के साथ हुए करगिल युद्ध का भाग रहे। इस युद्ध में इंडिया को जीत मिली थी।

मणिपुर में हुए एक आतंकी हमले में 18 सैनिक शहीद हो गए थे।  जिसके जवाबी हमले में सेना के कमांडों ने म्यांमार की सीमा में दाखिल होकर अटैक कर दिया था। इस हमले में NSCN के कई आतंकी ढेर कर दिए गए थे। यह अभियान चलाया था 21 पैरा ने, जो थर्ड कॉर्प्स के अंतर्गत काम करता था। उस वक़्त थर्ड कॉर्प्स के कमांडर बिपिन रावत ही थे।

31 दिसंबर 2016 को बिपिन रावत को भारतीय सेना का प्रमुख के रूप में चुना गया। उन्होंने दलबीर सिंह सुहाग का स्थान लिया। इस तरह से बिपिन रावत इंडियन आर्मी के 27वें प्रमुख बन गए थे। सेना प्रमुख रहते हुए बिपिन रावत ने इंडियन आर्मी को आधुनिक बेहतर बनाने के लिए कई काम किए। बिपिन रावत 31 दिसंबर 2019 तक इस पद पर थे। भारतीय सेना के प्रमुख पद से इस्तीफा देने  के उपरांत बिपिन रावत को CDS यानि चीफ ऑफ़ डिफेन्स स्टाफ बना दिया गया।

इतना ही नहीं चीफ ऑफ़ डिफेन्स स्टाफ यानी CDS थल सेना, वायुसेना और नौसेना तीनो  के मध्य तालमेल का कार्य करता है। वह रक्षा मंत्री के प्रमुख सलाहकारों में से एक कहे जाते है। इस पद को इसलिए बनाया गया था ताकि तीनों सेनाएं मिलकर कार्य को पूरा कर सके। खासकर युद्ध के समय सेनाओं के मध्य तालमेल रहे।

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