सुप्रीम कोर्ट में राम सेतु को प्राचीन ऐतिहासिक स्मारक घोषित करने की मांग को लेकर याचिका दाखिल की थी। जिसके बाद भाजपा सांसद और वरिष्ठ वकील सुब्रमण्यम स्वामी ने याचिका पर जल्द सुनवाई करने की मांग की है। उनकी इस मांग के बाद सुप्रीम कोर्ट ने तीन महीने बाद अपील करने को कहा है। कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के समय में वर्ष 2005 में सेतुसमुद्रम परियोजना का एलान हुआ था। उस वक्त इसकी लागत करीब 2500 करोड़ थी जोकि अब बढ़कर 4000 करोड़ हो गई है। इसके परियोजना के तहत बड़े जहाजों के परिवहन के लिए करीब 83 किलोमीटर लंबे दो चैनल बनाए जाने थे।
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जहाजों के आने-जाने में लगने वाले समय को कम करने के लिए दो चैनल बनाए जाने थे। ताकि कुल समय में 30 घंटे की कमी लाई जा सके। इन चैनल में से एक के राम सेतु से भी गुजरना है। इसे एडम्स ब्रिज भी कहा जाता है। श्रीलंका और भारत के बीच इस रास्ते पर समुद्र की गहराई कम होने से जहाजों को लंबे रास्ते से होकर गुजरना पड़ता है।
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि धार्मिक मान्यताओं के साथ-साथ भाजपा का भी मानना है कि रामसेतु को भगवान श्रीराम ने बनवाया था। इसी के चलते वर्ष 2007 में रामसेतु पर विवाद शुरू हुआ था, जब यूपीए सरकार ने प्रस्ताव दिया था कि सेतुसमुद्रम परियोजना के लिए रामसेतु के अलावा कोई विकल्प आर्थिक तौर पर लाभदायक नहीं है। हालांकि धार्मिक और पर्यावरण कार्यकर्ता इस परियोजना का विरोध कर रहे थे। इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था।
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