भगवान शनिदेव की शनिवार के दिन पूजा से विशेष लाभ होता है। न्याय के अधिपति श्री शनि देव को प्रसन्न करने के लिए यू तो शनि मंदिर में काला कपड़ा, काले तिल और तेल चढ़ाए जाते हैं लेकिन शनिवार का व्रत किए जाने से विशेष लाभ होता है। शनिवार का व्रत प्रारंभ करना बहुत ही मंगलकारी है। ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर शनिदेव की प्रतिमा की विधि समेत पूजन करना चाहिए। शनि भक्तों को इस दौरान शनि मंदिर में शनि देव को नीले रंग के पुष्प अर्पित करने से विशेष लाभ मिलता है।
शनि देव के व्रत से शनि पीड़ा से मुक्ति मिलती है। शनि देव के श्रद्धालुओं को शाम के समय या सुबह के समय शनि मंदिर में दर्शन करने से पुण्यों की प्राप्ति होती है। शनि देव के मंदिर में दान देने से भी लाभ होता है। शनि की साढ़े साती को दूर करने के लिए चीटियों को गुड़ आटा आदि डालने से भगवान प्रसन्न होते हैं। इस दौरान 108 तुलसी के पत्तों पर भगवान श्री राम का नाम लिखकर पत्तों की माला बनाकर भगवान श्री विष्णु को चढ़ाऐं ऐसे में शनि देव की साढ़े साती और अन्य कष्टों में लाभ मिलता है।
भगवान श्री शनि देव का ऊॅं प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः, ऊॅं शं शनिश्चराय नमः। का मंत्र जप करने से शनि कष्टों में लाभ मिलता है। शनि देव की पीड़ा से मुक्त होने के लिए कई तरह के उपाय किए जाते हैं। ऐसे उपायों में काले घोड़े की नाल का उपाय या फिर लोहे का दान विशेष फलदायी होता है। इस दिन तेल का दान करना भी पुण्यदायी होता है। भगवान शनि देव का व्रत करने की बड़ी ही निराली महिमा है। शनिवार को व्रत करने के लिए सुबह जल्द उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद भगवान शनि देव का पूजन करें। इस दौरान..
।।निलांजन समाभासम्, रविपुत्र यमाग्रजम् छाया मार्तंड संभूतम्त्वम् नमामि शनैश्चरम्।।
इस मंत्र का मनन करें। इसके बाद शनि देव का ध्यान कर शनि यंत्र या फिर शनि मंदिर में नीला फूल चढ़ाऐं, मंदिर में दान, पूजन, तेल चढ़ाना आदि कार्य करें। शनि देव को याद करते हुए गुड़ आदि का भोग लगाऐं। इसके बाद भगवान शनि देव के लिए लोगों को कुछ दान करें। शाम के समय या अपने अनुसार दिन में भोजन करें। मगर भोजन एक ही समय करें।