दीपावली पर हो जाती है कोई दुर्घटना , तो डॉक्टर की इन हिदायतों का रखें ध्यान
दीपावली पर हो जाती है कोई दुर्घटना , तो डॉक्टर की इन हिदायतों का रखें ध्यान
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हम सभी इस बात को जानते है कि दिवाली को दीपोत्सव भी कहा जाता है. हम दिवाली के दिन धन कि देवी मां लक्ष्मी को घर बुलाने के लिए अपने घर को दीपक और लाइट्स से सारे घर कि सजावट करते है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल दिवाली 27 अक्टूबर रविवार को मनाया जा रहा है.

इस दिन भारतीय लोग एक दूसरे को मिठाई बांटने के साथ आतिशबाजी करना भी करते हैं। लेकिन आतिशबाजी के दौरान हो जाने वाली छोटी सी भूल भी बड़ी गलती बन जाती है.इसी के चलते हमें छोटी-छोटी सावधानियां रखकर खुद को और अपने पूरे परिवार को होने वाले हादसों से बचा सकते हैं.

अब हम जानेंगे आखिर क्या हैं वो सावधानियां. रखे ये सावधानी-

- बच्चो कि पहुंच से दूर रखे पटाखे -पटाखे खुले मैदान में ही जलाएं। रॉकेट हमेशा ऊपर की ओर ही छोड़े.

-पटाखे जलाते समय सूती कपड़े ही पहनने चाहिए। पटाखे जलाने के दौरान पानी के साथ ही बालू-मिट्टी का इंतजाम करें.

-पटाखों में आग दूर से ही लगाएं। चिगारियां छोड़ने वाले पटाखों के पास नहीं जाएं.

-पटाखे जलाते समय जूते पहने। जो पटाखा न फूटे उसपर पानी या मिट्टी डाल दें.

 

-छोटे बच्चों व बुजुर्गों का भी ख्याल रखें। पटाखे जलाते समय बच्चों पर नज़र बनाये रखे.

-पटाखे रखने के लिए अच्छी और सुरक्षित जगह को चुनें। गर्दी वाले जगह पर पटाखे न छोड़े.

-पटाखे छोटे बच्चों कि पहुंच से दूर रखें। पटाखे हाथ में रखकर न फोड़े। किसी के ऊपर न फेंके.

लूज कपडे न पहने -

-पटाखे जलाते समय दुपट्टा और साड़ी का पल्लू का विशेष ध्यान रखे. याद रखे आप किसी भी ज्वलनशील पदार्थ से पटाखे दूर रखे जैसे दिया, मोमबत्ती या रसोईघर के पास न जलाये ।

-पटाखे जलाते समय हमेशा जूते या चप्पल पहनकर जलाए। एक समय पर एक ही व्यक्ति पटाखे छोड़े. पटाखे जेब में न रखे

. -पटाखे जलाते समय या आतिशबाजी करते वक्त हमेशा पास मे पानी कि व्यवस्था रखें। हमेशा पटाखे खुली जगह पर और किसी को बाधा न पहुंचे ऐसे स्थान पर फोड़े.

-अच्छी कंपनी के पटाखे खरीदें और चलाने का तरीका सीख लें। पटाखे जलाते समय पटाखे से दूरी बनाए रखें। पटाखे के ऊपर झुक कर पटाखा न छोड़े.

-पटाखे जलाने के लिए लंबी अगरबत्ती या फुलझड़ी का उपयोग करें। अगर पटाखा नहीं फूटता है तो तुरंत उसके पास न जाए।

उपचार:

प्रसिद्ध हड्डी एवं नस रोग सर्जन डॉ. प्रवीण गर्ग का कहना है कि पटाखों से जलने के बाद शरीर पर स्याही या कॉलगेट का प्रयोग नहीं करना चाहिए। जलने के स्थान पर नल का पानी तब तक डालना चाहिए, जब तक जलन कम न हो जाए। जलने पर चूड़ियां व अंगूठियां जल्दी से उतार दें, क्योंकि सूजन आने के बाद ये चीजें नहीं उतारी जा सकती. डॉ. गर्ग का कहना है कि आंख में पटाखा या धुआं चले जाने पर आँख को रगड़े नहीं. आंख को तुरंत पानी से साफ़ करना चाहिए. उन्होंने यह भी बताया कि पटाखों से निकलने वाला धुआं बेहद हानिकारक माना जाता है.इससे आंखों की रोशनी तक जाने कि सम्भावना होती है. हृदय रोगियों को ज्यादा आवाज वाले पटाखों से दूरी बांये रखे, वहीं सांस की बीमारी वाले मरीजों को धुएं से वाले इलाके से दूर रहना चाहिए.

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