भाई दूज पर यमुना और यमराज की पूजा करने का होता है महत्त्व
भाई दूज पर यमुना और यमराज की पूजा करने का होता है महत्त्व
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जैसा की आप जानते हैं भाई दूज का त्यौहार भाई और बहन के स्नेह का प्रतीक होता है,जो दोनों के प्यार को और भी दृढ बनाता है। हमारे हिन्दू धर्म में भाई बहन के स्नेह के दो त्यौहार मनाये जाते हैं एक रक्षाबंधन और दूसरा भाईदूज। ये दिवाली के दो दिन बाद मनाया जाता है। जिसमे बहने भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इस दिन बहनें भाइयों को तेल मलकर गंगा यमुना में स्नान भी कराती हैं।

यदि गंगा यमुना में नहीं नहाया जा सके तो भाई को बहन के घर नहाना चाहिए। इस दिन भाई बहन के घर भोजन करने का भी विशेष महत्त्व है। अगर आपकी कोई बहन नही है तो आप गाय,नदी या किसी भी स्त्रीत्व का ध्यान कर या उसके पास बैठ कर कर सकता है। इस दिन यमराज तथा यमुना जी के पूजन का विशेष महत्व है। हर बहन इस त्यौहार को मनाती है। लेकिन हम आपको ये बताने वाले हैं कि ये मनाया क्यों जाता है।

भाई दूज की कथा कुछ यु है कि भगवान् सूर्य की पत्नी का नाम छाया था जिन्होंने यमराज और यमुना जी को जन्म दिया। यमुना अपने भाई यमराज से बहुत प्रेम करती थी। यमुना अपने भाई यमराज से निवेदन करती थी कि वो उनके घर आ कर भोजन करे लेकिन यमराज हर बार टाल दिया करते थे। और कार्तिक शुक्ल का दिन आया और फिर से उन्होंने अपने भाई को घर आने के लिए वचन बद्ध कर दिया। यमराज ने सोचा कि मुझे कोई बुलाना नही चाहेगा यदि बहन बुलाती है तो उन्हें उसके पालन करना चाहिए और इसके बाद उन्होंने नरक निवासी को मुक्त कर दिया और अपनी बहन के घर चले गए।

भोजन पूजा करने के बाद यमराज ने बहन से वर मांगने को कहा तो यमुना ने कहा आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो। मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करे, उसे तुम्हारा भय न रहे। यमराज ने तथास्तु कहा और प्रस्थान किआ। यही परंपरा आज तक चली आ रही है और इसी वजह से यमराज और यमुना का भी पूजन किया जाता है।

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