आज यानी गुरुवार को भारत में अमेरिकी समेत 16 देशों के राजदूत केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में हालात का जायजा लेने पहुंचे हैं. पिछले साल 2019 के अक्टूबर महीने में यूरोपीय संसद के 27 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने कश्मीर का दौरा किया था. इस पर कई विपक्षी पार्टियों ने आपत्ति जताई थी.इस बार यूरोपीय यूनियन के राजनयिकों के इस दौरे में शामिल न होने के कारणों की आधिकारिक पुष्टि अभी नहीं हुई है. हालांकि, मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारत सरकार के सूत्रों के मुताबिक, यूरोपीय यूनियन के राजनयिक अलग समूह में जम्मू-कश्मीर का दौरा करना चाहते हैं, लेकिन अभी इसकी तैयारी करना संभव नहीं है. ऐसा बताया जा रहा है कि यूरोपीय यूनियन के राजनयिकों को कुछ समय बाद कश्मीर के दौरे पर ले जाया जाएगा.
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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारत सरकार जम्मू-कश्मीर में राजनयिकों के दौरे के मुद्दे पर यूरोपीय यूनियन से संपर्क बनाए हुए है. यूरोपीय यूनियन की ओर से इस जम्मू-कश्मीर दौरे का हिस्सा बनने के लिए सहमति नहीं मिल सकी है. केंद्र सरकार के सूत्रों के मुताबिक, दरअसल, यूरोपीय यूनियन के राजनयिक अलग समूह में जाना चाहते हैं, लेकिन अभी इतने कम समय में ऐसी तैयारियों कर पाना संभव नहीं है.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि भारत में अमेरिका के राजदूत केनेथ आई जस्टर सहित 16 देशों के राजनयिक बृहस्पतिवार से जम्मू-कश्मीर के दो दिवसीय दौरे पर आएं हैं. जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा पिछले वर्ष समाप्त किये जाने के बाद राजनयिकों का यह पहला दौरा होगा. दिल्ली से ये राजनयिक गुरुवार को को हवाई मार्ग से श्रीनगर आएं हैं और वहां से वे जम्मू जाएंगे. वे वहां पर उप राज्यपाल जी सी मर्मू के साथ ही नागरिक समाज के लोगों से भी मुलाकात करेंगे. इनमें बांग्लादेश, वियतनाम, नार्वे, मालदीव, दक्षिण कोरिया, मोरोक्को, नाइजीरिया आदि देशों के भी राजनयिक शामिल होंगे.
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