4 साल की उम्र से शुरू कर दिया था गीता का पाठ, आज लाखों दिलों में बसते हैं श्री श्री रवि शंकर
4 साल की उम्र से शुरू कर दिया था गीता का पाठ, आज लाखों दिलों में बसते हैं श्री श्री रवि शंकर
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गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी आज के समय में संसारभर में अपनी जगह बना चुके हैं. वह एक आध्यात्मिक और मानववादी गुरु हैं. इसी के साथ उन्होंने तनावमुक्त एवं हिंसामुक्त समाज की स्थापना के लिए एक अभूतपूर्व विश्वव्यापी आंदोलन तक चलाया है. जी हाँ, आज श्री श्री रवि शंकर भारत के प्रभावशाली लोगों में भी शामिल है. जी दरअसल बीते दिनों फेम इंडिया मैगजीन ने प्रभावशाली लोगों की सूची जारी की और इसी सूची में श्री श्री रवि शंकर का नाम भी शामिल है. इस सूची में उन्हें सातवां स्थान मिला है. आर्ट ऑफ लिविंग के फाउंडर श्री श्री रविशंकर ने विश्वशांति गुरु के तौर पर सूची में यह स्थान अपने नाम किया है. उन्होंने अनोखे एवं प्रभावशाली कार्यक्रमों का विकास किया है जो बेहतरीन रहे हैं.

इसी के साथ उन्होंने व्‍यक्ति को वैश्विक, राष्‍ट्रीय, सामुदायिक और व्यक्तिगत स्तरों पर चुनौतियों से निपटने के लिए सशक्त, सुसज्जित और परिवर्तित किया है. श्री श्री रवि शंकर का जन्म 1951 में दक्षिणी भारत में हुआ था. केवल इतना ही नहीं बल्कि 4 साल की उम्र में ही वह भगवद गीता का पाठ करने में सक्षम हो गए थे, और उन्हें हमेशा ध्यान में लीन देखा जाता था. श्री श्री रवि शंकर के पास वैदिक साहित्य और भौतिकी दोनों ही डिग्रियां हैं. केवल इतना ही नहीं गुरुदेव ने संसारभर में शांति वार्ताओं के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है जो अकथनीय है.

वहीँ उनके नेतृत्व में पर्यावरण संरक्षण से सम्बंधित गतिविधियों का कार्यक्षेत्र संगठन के लिये प्रमुख माना आज्ञा है. भारत में 33 नदियों और हजारों जल निकायों को वर्तमान में पुनर्जीवित किया जा रहा है और आर्ट ऑफ़ लिविंग के स्वयंसेवकों ने 36 देशों में 71 मिलियन पेड़ लगाए हैं. आप सभी को हम यह भी बता दें कि गुरुदेव ने आर्ट ऑफ़ लिविंग को एक अंतरराष्ट्रीय, गैर-लाभकारी, शैक्षिक और मानववादी संगठन के रूप में स्‍थापित किया और आज आर्ट ऑफ लिविंग के शैक्षणिक एवं आत्म-विकास के कार्यक्रम तनाव को खत्म करने के लिए बेहतरीन माने जाते हैं.

1982 में, गुरुदेव, भारत के कर्नाटक राज्‍य स्थित, शिमोगा में दस दिनों के मौन में गए और वहीं पर एक शक्तिशाली श्‍वास तकनीक सुदर्शन क्रिया का जन्म हुआ. समय के साथ, सुदर्शन क्रिया आर्ट ऑफ लिविंग के पाठ्यक्रमों का केंद्र बिंदु बन गयी. आज उन्हें और उनके नाम को लोग दिलों में बसा बैठे हैं.

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