style="text-align: justify;">श्री शिरडी सांई बाबा, जिन्होंने शिरडी को अपनी कर्मभूमि बनाया। जिनके चमत्कार लोगों ने अपनी आंखों से देखे और स्वयं अनुभव किए हुए थे। काका साहेब चांदोलकर हो या फिर श्यामा हो या दोभोलकर जिन्होंने श्री सांई का चरित्र भी लिखा। यही नहीं श्री सांई बाबा के व्रत कोई भी कर सकते हैं, चाहे स्त्री हो या पुरूष सभी कर सकते हैं। दरअसल बाबा के 9 गुरूवार व्रत करने से अभिष्ट की सिद्धि होती है। यही नहीं श्रद्धालुओं द्वारा ये व्रत करने से सांई की कृपा भी उन पर रहती है।
व्रत यू तो प्रति गुरूवार के अनुसार 9 गुरूवार तक किए जाते हैं मगर अपनी श्रद्धा के अनुसार 11 या 21 व्रत भी किए जा सकते हैं।
व्रत के साथ बाबा की व्रत कथा भी की जाना जरूरी है। व्रत करने की शुरूआत बाबा का नाम लेकर गुरूवार से आरंभ की जा सकती है। इस दौरान जिस कार्य के लिए व्रत किया गया हो उसके लिए श्री साईं बाबा से सच्चे हृदय से प्रार्थना करना जरूरी है।
किसी आसन पर पीला कपड़ा बिछाऐं, इस कपड़े पर श्री सांईबाबा की तस्वीर रखकर स्वच्छ जल से इसे पोंछकर चंदन और कुमकुम का तिलकर लगाना चाहिए। यही नहीं इस पर पीला फूल और हार चढ़ाकर प्रसादस्वरूप फल और मिठाई बांटी जाना चाहिए। यही नहीं व्रत में फलाहार लिया जा सकता है। दूध, आदि का सेवन भी किया जा सकता है।
बाबा का स्मरण कर उनकी श्री सांई व्रत कथा करना चाहिए।
इसके बाद प्रत्येक गुरूवार को सांई बाबा के मंदिर जाकर दर्शन करने होंगे। श्री सांई बाबा के मंदिर में श्रद्धापूर्वक यदि आप दर्शन कर सकते हैं तो अच्छी बात है नही तो कोई बात नहीं, व्रत कथा पूरी होने पर बाबा की आरती करना चाहिए और प्रसाद का भोग लगाकर प्रसाद वितरण करना चाहिए। प्रसाद में कुछ पीला बनाए तो बेहतर है। मन्नत मांगकर बाबा के चित्र क हाथ जोड़ना चाहिए। 9 वें गुरूवार को गरीब को भोजन खिलाना चाहिए। इससे बाबा प्रसन्न होते हैं।