कोलंबोः श्रीलंका में कोरोना वायरस से मरने वाले मुस्लिमों का अनिवार्य रूप से दाह संस्कार करने के नियम में छूट देने और मृतकों को दफन करने के फैसले का क्रियान्वयन होने में कुछ वक़्त लग सकता है, क्योंकि अभी तक इस संबंध में आवश्यक दिशा निर्देश जारी नहीं हो पाए। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को यह सूचना दी।
इंटरनेशनल स्तर पर निंदा के मध्य, श्रीलंका सरकार ने कोरोना से मरने वाले लोगों के शव को अनिवार्य रूप से जलाने के आदेश में परिवर्तन किया है। इस आदेश से मुस्लिमों सहित अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को उनके धार्मिक अधिकारों से वंचित किया जा रहा था। बीते वर्ष अप्रैल में जारी एक राजपत्रित अधिसूचना में सरकार ने गुरुवार को परिवर्तन किया। नई अधिसूचना के अनुसार दाह संस्कार और दफनाना दोनों किया जा सकता है।
बीते 10 माह तक देश के मुस्लिम और ईसाई अल्पसंख्यकों तथा इंटरनेशनल समूहों ने अनिवार्य रूप से दाह संस्कार की नीति का अंत करने के लिए सरकार पर दबाव बनाया। स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी असेला गुणावर्देना ने बोला 'इसमें कुछ वक़्त लगेगा क्योंकि कई पक्षों पर दिशा निर्देश तय करना और जारी होना बाकी है।' श्रीलंका की सरकार ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए कोरोना वायरस से मरने वालों के शवों को दफनाने की बजाय उनका दाह संस्कार करना अनिवार्य कर दिया था।
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