भारतीय पुरुषों के लिए खतरे की घंटी, आई चौकाने वाली खबर
भारतीय पुरुषों के लिए खतरे की घंटी, आई चौकाने वाली खबर
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भारत समेत दुनिया भर के पुरुषों का स्पर्म काउंट कम हो रहा है। जी हाँ और हाल ही में वैज्ञानिकों की एक टीम ने इस बात का दवा किया है। करीब सात सालों तक की गई रिसर्च के बाद यह दावा किया गया है। मिली जानकारी के तहत यह रिसर्च ह्यूमन रिप्रोडक्शन अपेडट जर्नल में प्रकाशित की गई है जो 2011 से 2018 के बीच की गई थी। जी हाँ और इसमें लगभग सात सालों का समय लगा और जो नतीजे सामने आए, उससे वैज्ञानिक भी हैरान रह गए। बताया जा रहा है ये शोध अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किया गया था जिसमें वैज्ञानिकों की कई टीमों ने हिस्सा लिया। जी हाँ और इस दौरान उन्होंने 53 देशों के 57,000 से अधिक पुरुषों के शुक्राणुओं के नमूनों के आधार पर 223 अध्ययन किए।

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वहीं इसमें दक्षिण अमेरिका, एशिया और अफ्रीका के देश शामिल थे जहां इससे पहले कभी इस तरह का अध्ययन नहीं किया गया था। इसी के साथ अध्ययन में ये भी कहा गया कि पहली बार इन इलाकों के लोगों पर अध्ययन किया गया और यहां के लोगों में भी टोटल स्पर्म काउंट और स्पर्म कॉन्सन्ट्रेशन (sperm concentration) में कमी देखी गई।

आपको यह भी जानकारी दे दें कि इससे पहले उत्तरी अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में इस तरह की रिसर्च हो चुकी है और वहां भी ऐसे ही आंकड़े पाए गए। क्या कहती है स्टडी- जी दरअसल शुक्राणुओं की संख्या ना केवल प्रजनन की क्षमता से जुड़ी होती है बल्कि इसका असर पुरुषों के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। वहीं स्पर्म काउंट की कमी टेस्टिकुलर (रिप्रोडक्टिव पार्ट) कैंसर समेत कई बीमारियों का कारण बन सकती है और ये आदमियों के जीवनकाल को भी प्रभावित करती है।

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वैज्ञानिकों ने जताई चिंता- सामने आने वाली रिसर्च में शामिल हिब्रू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हेगाई लेविन ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, ''भारत में ये गिरावट ज्यादा देखने को मिली है। यहां से हमें काफी अच्छा डेटा मिला है जिसकी रिसर्च में हमने पाया कि भारत में भी स्पर्म काउंट काफी कम हुआ है। हालांकि यह पूरी दुनिया के जैसा ही है। खराब जीवनशैली और वातावरण में मौजूद खतरनाक केमिकल स्पर्म क्वालिटी के गिरने की प्रमुख वजहों में एक है।''

इसी के साथ उन्होंने कहा, ''पिछले 46 वर्षों में पूरी दुनिया में स्पर्म काउंट में 50 फीसदी तक की कमी देखी गई है। लेकिन हाल के सालों में इसमें तेज गिरावट देखी गई। ये हालात किसी महामारी जैसे हैं। ये हर जगह हो रहा है। इसके कारणों से हम चाहकर भी नहीं बच सकते हैं।''

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