केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि विश्व भर में भारतीय मिशन देश में कोरोना संबंधित म्यूकोर्मिकोसिस (सीएएम) के उपचार के लिए एम्फोटेरिसिन या अतिरिक्त और वैकल्पिक दवाओं जैसी दवाओं की सोर्सिंग के लिए युद्ध स्तर पर काम कर रहे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को शीर्ष अदालत में दायर 375 पन्नों के एक हलफनामे में म्यूकोर्मिकोसिस के लिए दवा की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उठाए जा रहे कदमों के बारे में शीर्ष कोर्ट की पीठ के प्रश्न का विस्तार से उत्तर दिया।
इसमें बताया गया है कि अगस्त में घरेलू निर्माताओं द्वारा एल-एम्फोटेरिसिन बी का अनुमानित उत्पादन 5.525 लाख यूनिट इंजेक्शन होने की आशंका है तथा समान वितरण बनाए रखने के लिए, प्रदेशों को उनके रिपोर्ट किए गए केसलोएड के अनुपात के मुताबिक, दवाएं दी जाती हैं। एम्फोटेरिसिन जैसी दवाओं की घरेलू उत्पादन सुविधाओं को बढ़ाने के अतिरिक्त सरकार ने कहा कि उसने दवा के विवेकपूर्ण उपयोग पर भी मार्गदर्शन जारी किया है, और प्रदेशों तथा केंद्रशासित प्रदेशों को निजी और सरकारी अस्पतालों को आवंटन के लिए पारदर्शी व्यवस्था करने की आवश्यकता है।
एम्फोटेरिसिन दवा घरेलू उत्पादन और आयात दोनों के जरिए उपलब्ध है, और दोनों स्रोतों को बढ़ाया गया है। मई और जून 2021 में पहली बार देखी गई मांग में उछाल से निपटने के लिए क्षमता और आपूर्ति को बहुत ही कम समय में कई गुना बढ़ाना पड़ा है। आगे, MoHFW (स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय) द्वारा इस उद्देश्य के लिए बनाए गए पोर्टल पर रिपोर्ट किए गए म्यूकोर्मिकोसिस के मरीज डेटा का इस्तेमाल करके प्रदेशों में समान वितरण को सक्षम करने के लिए एक अंतरिम उपाय के रूप में आवंटन किया जा रहा है। हलफनामे में कहा गया है। घरेलू विनिर्माण को बढ़ाने के लिए केंद्र निरंतर कच्चे माल से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए निर्माताओं के साथ जुड़ रहा है।
कहीं आप भी न हो जाएं 'फर्जी वैक्सीनेशन' का शिकार ? टीका लगवाते समय बरतें ये सावधानियां
कांग्रेस में रहेंगे अश्विनी सेखरी, उनके पार्टी छोड़ने का सवाल ही नहीं उठता: सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह
अपने गाँव जाने के लिए बैग पैक कर चुके थे नरसिम्हा राव, फिर अचानक कैसे बन गए PM ?