'कभी अनमैरिड मरीजों को जज किया करती थी, फिर एक दिन कुछ यूं हुआ...', इस डॉक्टर ने बनाई अपनी कहानी
'कभी अनमैरिड मरीजों को जज किया करती थी, फिर एक दिन कुछ यूं हुआ...', इस डॉक्टर ने बनाई अपनी कहानी
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शुक्रवार 22 जुलाई का दिन महिला सशक्तीकरण की दिशा में एक विशेष दिन है। इस दिन सर्वोच्च न्यायालय ने महिलाओं के अधिकारों को लेकर एक बड़ा ऐतिहासिक निर्णय सुनाते हुए अविवाहित महिला को 24 हफ्ते के गर्भ को गर्भपात करने की इजाजत देने के लिए अंतरिम आदेश दिया। अदालत का ये निर्णय अपनी जगह है मगर सोसायटी में अविवाहित युवतियों के सेक्सुअली एक्ट‍िव होने को लेकर एक अलग टैबू है जिसे वो अपने घरों से लेकर चिकित्सालयों एवं चिकित्सकों की क्ल‍ीनिक तक झेलती हैं। 

कई बार सोशल मीडिया में इसे लेकर आवाजें उठती रही हैं कि स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ महिला डॉक्टर गैर शादीशुदा युवतियों को सहज महसूस नहीं करातीं। ऐसे मामलों में उनका एक अलग प्रकार का ही बिलीफ सिस्टम काम करता है। कुछ डॉक्टर तो युवतियों से ऐसे सवालों की झड़ी लगा देती हैं जिससे उनके बारे में सब जल्दी से जान लें। लड़कियों की मोरल पुलिसिंग करने में भी वो पीछे नहीं रहतीं। दिल्ली की एक चिकित्सक डॉ सुरभ‍ि स‍िंह इस बात को खुले दिल से कबूलती हैं कि कभी वो स्वयं भी अपनी बिनब्याही रोगियों के साथ कुछ ऐसी ही थीं। वो लाख चाहते हुए भी उनको जज करने से स्वयं को रोक नहीं पाती थीं। उनका अपना एक अलग बिलीफ सिस्टम था जो ऐसे मामलों में हावी हो जाता था। 

मीडिया से चर्चा में डॉ सुरभ‍ि सिंह कहती हैं कि मैं पिछले 15 वर्षों से अधिक वक़्त से प्रैक्ट‍िसिंग डॉक्टर हूं। जब आरम्भ में इस फील्ड में आई थी तो यही ध्येय लेकर आई थी कि मैं अपने हर मरीज को बराबरी की नजर से ट्रीट करूंगी, अमीर हो या गरीब या किसी भी जाति धर्म से हो, मेरे लिए सब बराबर होंगे। मगर अक्सर जब बिन ब्याही युवतियां आतीं तो कहीं न कहीं मेरे मन में अलग बिलीफ सिस्टम काम करने लगता, ये सालोंसाल की कंडीशनिंग एवं माहौल का प्रभाव ही था शायद। डॉ सुरभ‍ि कहती हैं कि वास्तव में मैं जिस पृष्ठभूमि से आती हूं वहां अविवाहित एवं सेक्सुअली एक्ट‍िव युवतियों के लिए पूर्वाग्रह होना बड़ा लाजिम बात मानी जाती थी। हालांकि फिर भी मैं उन्हें अपने अन्य मरीजों की भांति ही बेस्ट ही देती थी। वो दिन आज भी भुलाए नहीं भूलता, जिसने मेरी सोच से जैसे सारे पर्दे हटा दिए। मैं ट्रांसफार्मेशन ही कर दिया। मैं रोज की भांति मरीज देख रही थी, तभी एक लड़की मरीज आई। वो अविवाहित थी, उसे एबनॉर्मल तरीके से हैवी ब्लीडिंग हो रही थी। बहुत छानबीन-पूछताछ करने पर वो बताने लगी कि अविवाहित होने की वजह से उसने गर्भपात के लिए 'इमरजेंसी गर्भनिरोधक गोली' की 30 टेबलेट्स ली हैं। मेरे पैरों तले से मानो जमीन ख‍िसक गई। मैंने लगभग झुंझलाते हुए उससे पूछा कि गोलियां लेने से पहले मुझसे या किसी भी अन्य स्त्री रोग विशेषज्ञ के पास क्यों नहीं गई। इस पर उसने बोला कि उसने ऐसा करने की हिम्मत नहीं की क्योंकि उसने पहले एक स्त्री रोग विशेषज्ञ के क्लिनिक में स्वयं को अपमानित महसूस किया था। उसे अविवाहित होकर सेक्सुअली एक्ट‍िव होने पर शर्मिंदगी महसूस हुई थी। बस वही वो पल था जब मेरा दृष्टिकोण बदलना आरम्भ हो गया तथा मैंने अपने सभी मरीजों का उपचार उनकी वैवाहिक स्थिति की जगह सिंप्टम्स देखकर करना आरम्भ कर दिया। मैं ब‍िना जजमेंटल हुए सिंपैथी के साथ ही अपने सभी रोगियों से पेश आने का प्रयास करने लगी। 

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