नंदी के बारे में तो हम सभी जानते हे है जब भी शिव जी की पूजा करते है तो नंदी की पूजा ज़रूर की जाती है . पर नंदी को शिवजी के सबसे बड़े भक्त की उपाधि कैसे मिली आज हमआपको बतायेगे. एक कहानी के मुताबिक ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करनेवाले शिलाद ऋषि को अपने वंश को आगे बढ़ाने की चिंता सताने लगी थी. वंश को आगे बढ़ाने के लिए वे एक पुत्र को गोद लेना चाहते थे. इसी कामना से उन्होने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उनकी आराधना शुरू की.
कठोर तप से भगवान शिव प्रसन्न हुए और वरदान देते हुए कहा कि जल्द ही उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति होगी. अगले दिन ही शिलाद ऋषि को खेत में एक खूबसूरत नवजात शिशु मिला. कुछ समय बाद जब शिलाद ऋषि को यह पता चला कि उनका पुत्र नंदी अल्पायु है तो वे काफी परेशान हुए. लेकिन जब नंदी को इस बात की जानकारी हुई तो उन्होने कहा कि भगवान शिव की कृपा से उनका जन्म हुआ है इसलिए वे ही उनकी रक्षा भी करेंगे. पिता का आशीर्वाद लेकर नंदी भुवन नदी के किनारे तप करने चले गए.
नंदी की आस्था और कठोर तप से प्रसन्न होकर शिव जी प्रकट हुए और नंदी ने वरदान के रूप में सारी उम्र के लिए शिव का साथ मांग लिया. नंदी ने शिव जी से प्रार्थना की कि वह हर समय उनके साथ रहना चाहते हैं. नंदी की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने नंदी को पहले अपने गले लगाया और बैल का चेहरा देकर उन्हें अपने वाहन, अपना दोस्त, अपने गणों में सबसे ऊंचा दर्जा देते हुए स्वीकार कर लिया.
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