21 साल बीतने के बाद भी नहीं मिला शहीद बेटे को सम्मान, माँ बयां कर रही अपना दर्द
21 साल बीतने के बाद भी नहीं मिला शहीद बेटे को सम्मान, माँ बयां कर रही अपना दर्द
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सागर। यह कहानी एक माँ की है वो माँ अपना दर्द बया करते हुए बताती है जिसका बेटा फौज में था। साल 2000 में उसकी नौकरी लगी थी। उसे गए हुए 21 साल हो गए है पर दुःख तो इस बात का है की सरकार ने माँ के बेटे की शहादत को सम्मान नहीं दिया। वैसे तो सम्मान मांगने की चीज़ नहीं होती पर सम्मान तो कमाया जाता है जो की शहीद के परिवार को जीने की वजह देता है, यह दर्द सागर के लाजपतपुरा वार्ड में रहने वाली 72 वर्षीय पान बाई लारिया का है।

यह बात 21 साल पहले की है ओडिशा में ड्यूटी के दौरान इनके बेटे सीआरपीएफ जवान प्रदीप लारिया की मौत नक्सलियों की बिछाई बारूदी सुरंग फटने से हो गई थी, लेकिन दुःख तो इस बात का है की मध्यप्रदेश सरकार ने जवान प्रदीप को शहीद नहीं माना। इतना ही नहीं मप्र सरकार ने तो जवान की शहादत पर भी सवाल खड़े किए हैं। इसके बाद प्रदीप के विकलांग बड़े भाई ने सबूत इक्कठा किये और अफसरों को दिखाए पर सरकार ने नियमो और शर्तो को बता कर जवान प्रदीप को सम्मान देने से इंकार कर दिया।

ओडिशा सरकार को जब प्रदीप का शहीद होने का प्रमाण पत्र दिखाया तो एक लाख रूपए की राशि दी, लेकिन मध्यप्रदेश सरकार से राशि की मांग की तो सरकार ने राशि देने से मना कर दिया कहा की प्रदीप की मौत सैन्य कार्रवाई में नहीं हुई है। सरकार का कहना है की प्रदीप की मौत युद्ध, काउंटर, इमरजेंसी क्षेत्र में नहीं हुई है इसी कारण प्रदीप के परिवार को राशि प्रदान नहीं की जाएगी।

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