भारत का ऐसा इकलौता मंदिर जो ग्रहण के सूतक में भी रहता है खुला
भारत का ऐसा इकलौता मंदिर जो ग्रहण के सूतक में भी रहता है खुला
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वर्ष के आखिरी सूर्य ग्रहण की शुरुआत हो चुकी है. भारत के कई हिस्सों में सूर्य ग्रहण का अद्भुत नजारा दिखना शुरू हो चुका है. यह ग्रहण धनु राशि और मूल नक्षत्र में पड़ा है. ग्रहण काल की अवधि 5 घंटे 36 मिनट की हो सकती है . ग्रहण होने के 12 घंटे पहले सूतक लग जाता है. सूतक के समय को सामान्यता अशुभ माना जाता है. इस दौरान शुभ कार्य करना वर्जित होता है. सूर्य ग्रहण के 12 घंटे से पूर्व ही सूतक लगने के कारण मंदिरों के पट भी बंद कर दिए जाते है. ऐसे में पूजा, उपासना या देव दर्शन नहीं किए जाते हैं. पर भारत में एक ऐसा मंदिर भी है जो ग्रहण के सूतक मे भी खुला रहता है. ये आंध्र प्रदेश का मशहूर कालहस्ती मंदिर है. जहां सूर्य ग्रहण के दौरान देश के सभी मंदिर 12 घंटों के लिए बंद हैं इसके अलावा इकलौते इस मंदिर में ग्रहण के दौरान खास पूजा अर्चना की जा रही है.

ग्रहण के समय क्यों खुला रहता है ये मंदिर?
यह मंदिर भगवान शिव का मंदिर है. इस मंदिर में राहु और केतु की पूजा के साथ-साथ कालसर्प की भी पूजा होती है. जिनके ज्योतिष में कोई दोष है वे यहां ग्रहण के दौरान आते हैं और राहु-केतु  की पूजा के बाद भगवान शिव और देवी ज्ञानप्रसूनअंबा की भी पूजा करते हैं.  

कैसा होगा साल का आखिरी सूर्य ग्रहण?
ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि इस सूर्य ग्रहण का पूरे ब्रह्मांड पर भी प्रभाव पड़ सकता है . भारतीय समय के अनुसार आंशिक सूर्यग्रहण सुबह आठ बजे आरंभ हुआ. ग्रहण की आंशिक अवस्था दोपहर 1 बजकर 36 मिनट पर समाप्त होगी. इस साल का आखिरी सूर्य ग्रहण एक आग की अंगूठी की तरह नजर आने वाला है. वैज्ञानिक इसे ‘रिंग ऑफ फायर’ का नाम दे रहे हैं. इस ग्रहण में सिर्फ सूरज का मध्य भाग ही छाया के क्षेत्र में आता है जबकि सूर्य के बाहर का क्षेत्र प्रकाशित रहता है.

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