टीकों के विरुद्ध गलत मेसेज देने में हुआ सोशल मीडिया का उपयोग
टीकों के विरुद्ध गलत मेसेज देने में हुआ सोशल मीडिया का उपयोग
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फेसबुक एक ऐसा प्लेटफार्म है जहा पर किसी भी बात को यदि फ़ैलन हो तो सबसे अच्छा लगता है| फेसबुक पर टीकों के बारे में गलत सूचनाएं फैलाने वाले ज्यादातर विज्ञापनों का भुगतान सिर्फ दो संगठनों द्वारा किया जाता है। टीकों के खिलाफ अवैज्ञानिक संदेशों के प्रसार के लिए सोशल मीडिया की भूमिका को बताने वाले अध्ययन में यह जानकारी सामने आ रही है। मैरीलैंड यूनिवर्सिटी और अन्य संस्थानों के शोधार्थियों ने पाया कि टीका विरोधी विज्ञापन खरीददारों के एक छोटे से समूह ने लक्षित उपयोगकर्ताओं तक पहुंचने के लिए फेसबुक का फायदा उठाया जा रहा है।

जर्नल वैक्सीन में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, पारदर्शिता बढ़ाने के सोशल मीडिया मंचों के प्रयास असल में टीकाकरण को बढ़ावा देने और वैज्ञानिक खोजों की जानकारी देने वाले विज्ञापनों को हटाने की वजह बन गए है। शोध में सोशल मीडिया पर मिलने वाली गलत सूचनाओं के खतरे के प्रति सचेत रहने की अपील की गई है क्योंकि यह ‘टीका लगाने के संकोच’ को बढ़ा सकता है। 

टीका लगाने से इनकार की दर बढ़ने से उन बीमारियों को रोकने में हुई प्रगति बाधित होगी जो मात्र टीके की मदद से रोकी जा सकती हैं जैसे कि खसरा। दुनिया भर में इस बीमारी के मामलों में 30 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। टीकाकरण का विरोध करने वाले अधिकांश विज्ञापनों (54 फीसदी) के लिए भुगतान सिर्फ दो निजी समूहों ने किया। इन विज्ञापनों में टीकाकरण के कथित नुकसान पर जोर दिया गया था। इन समूहों के नाम सार्वजनिक नहीं किए गए हैं। 

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