छींक रोकने से होता है सेहत को नुकसान
छींक रोकने से होता है सेहत को नुकसान
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छींक आना एक स्वतः प्रक्रिया है. जब बार-बार छींक आती है तब अपने काम पर फोकस नहीं कर पाते है. कई बार ऐसा भी होता है कि छींक बीच में ही अटक जाती है. ऐसी स्थिति बहुत परेशान करने वाली होती है. छींक आने पर नाक से पानी की छींटे भी आती है, जो तीस फुट तक जा सकती है.

जब भी छींक आए तो रुमाल नाक पर रख लेना चाहिए ताकि कोई और इससे प्रभावित न हो. छींक को रोकने से सेहत को नुकसान होता है. तेज छींक को रोकने से ईयरड्रम को नुकसान हो सकता है, साथ ही आँख में किसी ब्लड वेसल को भी प्रभावित करती है. छींक रोकने से दूसरे नुकसान भी हो सकते है. छींक का दबाव अन्य जैसे खोपड़ी या साइनस की तरह बढ़ जाता है. छींक आने पर रुमाल रखने से संक्रमण को रोका जा सकता है.

छींक के माध्यम से फ्लू, इन्फ्लूएंजा और आम सर्दी आसानी से फैल जाती है. छींक को रोकने के कारण इससे होने वाले नुकसान को स्वाभाविक रूप से मरम्मत के रूप में ठीक किया जा सकता है, किन्तु रिसर्चरों का कहना है कि तेज छींक को रोकना उचित नहीं है.

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