छोटे और मझौले किसान बैंक से कर्ज लेने को अब भी मोहताज
छोटे और मझौले किसान बैंक से कर्ज लेने को अब भी मोहताज
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नई दिल्ली : कृषि ऋण का आंकड़ा भले ही साढ़े आठ लाख करोड़ को पार कर गया हो लेकिन कड़वी सच्चाई यही है कि छोटे और मझौले किसान आज भी बैंकों से ऋण लेने के लिए मोहताज है. छोटे और मझौले किसानों की कुल आबादी 85 प्रतिशत है लेकिन बैंक कर्ज में इनकी हिस्सेदारी मात्र 6 प्रतिशत है. अधिकांश किसान साहूकारों और सूदखोरों से कर्ज लेने को मजबूर हैं. 2010 -11 की कृषि गणना के अनुसार देश भर में 13 .8 करोड़ कृषि जोत है जिसमें से 11 .7 करोड़ यानी 85 प्रतिशत जोत छोटे और मझौले क्षेत्र की है.

43 फीसदी बुआई छोटे और मझौले किसानों की है लेकिन कर्ज में हिस्सेदारी सिर्फ 6 प्रतिशत है. वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार मार्च 2015 की स्तिथि के अनुसार कुल समायोजित शुद्ध ऋण का मात्र 6 प्रतिशत ही छोटे और मझौले किसानों को दिया गया है. सरकारी संस्था नेशनल सेम्पल सर्वे आफिस की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार 43 प्रतिशत किसानों को ही बैंक से कर्ज मिलता है.

25 फ़ीसदी किसान साहूकारों से ही कर्ज लेते हैं. छोटे किसानों को आसानी से कर्ज उपलब्ध कराने के लिए आरबीआई के निर्देशों पर भी ध्यान नहीं दिया गया. किसानों के लिए प्राथमिक क्षेत्र से 8 फीसदी ऋण किसानों को देने का लक्ष्य रखा गया था जो अब तक हासिल नहीं हुआ. चालू बजट में 9 लाख करोड़ रु. का कृषि ऋण का लक्ष्य रखा गया है जिसमें से 6 .25 करोड़ का लक्ष्य तो व्यवसायिक बैंकों को दिया गया है. शेष ऋण की जिम्मेदारी ग्रामीण और सहकारी बैंकों को दी गई है.

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