लाख कोशिशों के बाद भी नहीं सुधरे सुहागनगरी की आबोहवा, अब बढ़ रहा प्रदूषण का खतरा
लाख कोशिशों के बाद भी नहीं सुधरे सुहागनगरी की आबोहवा, अब बढ़ रहा प्रदूषण का खतरा
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फिरोजाबाद: सुहागनगरी की आबोहवा को शुद्ध करने एवं प्रदूषण से निजात को लेकर चल रही कवायद का असर नहीं देखने को मिल रहा है. वहीं  खेत में पराली जलाने पर प्रभावी अंकुश एवं औद्योगिक विस्तारीकरण पर रोक के साथ-साथ कोयला व लकड़ी को ईंधन के रूप में प्रतिबंधित किए जाने के बाद भी टॉप दस प्रदूषित शहरों में फिरोजाबाद का नाम भी शामिल है. ग्रीन पीस इंडिया संस्था द्वारा कराए गए सर्वे फिरोजाबाद का नौवां स्थान बताता है कि यहां प्रदूषण नियंत्रण के लिए ठोस काम नहीं हुआ है. ताज ट्रिपेजियम जोन में शामिल फिरोजाबाद में वायु और ध्वनि प्रदूषण की स्थिति चिंताजनक है. वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए सुहागनगरी में कई वर्ष से कोयला और लकड़ी को ईंधन के रूप में प्रतिबंधित किया जा चुका है. वहीं खेतों में फसल अवशेष (पराली) जलाने पर भी प्रशासन का कड़ा अंकुश है.

वहीं इस बात का पता चला है औद्योगिक नगरी में शामिल फिरोजाबाद में औरेंज और लाल श्रेणी के उद्योग स्थापना पर भी वर्ष 1996 से रोक लगी हुई है. लेकिन इस के बावजूद वायु प्रदूषण की स्थिति में अपेक्षा के अनुरूप सुधार नहीं है. केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के निर्देश पर हुए राष्ट्रीय वायु व्यापक गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रम की रिपोर्ट के मुताबिक फिरोजाबाद को वायु प्रदूषण के मामले में प्रदेश में नौवें पायदान पर रखा गया है. 

ग्रीन बेल्ट की कवायद अधूरी: सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कारखानेदारों को वायु प्रदूषण नियंत्रण एवं कार्बन ऑफसेटिंग के लिए ग्रीन बेल्ट स्थापित करानी होगी. इसके लिए औद्योगिक इकाइयों की उत्पादन क्षमता के अनुसार श्रेणी निर्धारित की गई हैं. लेकिन ग्रीन बेल्ट की कवायद अधूरी है.

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