पाप विनाशिनी देव उठनी ग्यारस
पाप विनाशिनी देव उठनी ग्यारस
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हिन्दू धर्म में शुभ कार्य अच्छे मुहूर्त में करने की परम्परा रही है .जिसकी शुरुआत हर साल देव उठनी ग्यारस से होती है . यह कार्तिक शुक्ल पक्ष की ग्यारवीं तिथि को मनाई जाती है .जो इस बार कल 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी.इस दिन से सभी शुभ कार्य जैसे विवाह ,नूतन गृह प्रवेश, मुंडन संस्कार ,नए व्यवसाय की शुरुआत की जाती है.इसे देव प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है, क्योंकि क्षीर सागर में देव शयनी एकादशी से चार माह के लिए निद्रामग्न भगवान विष्णु इस दिन जाग जाते हैं .

उल्लेखनीय है कि इस दिन तुलसी विवाह भी किया जाता है .इस दिन से मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है.हिन्दू धर्म में ग्यारस का बहुत महत्व है.इस दिन सूर्य और अन्य ग्रह अपनी स्थिति में परिवर्तन करते हैं , इसका मन की इन्द्रियों पर प्रभाव पड़ता है.इस ग्यारस का महत्व इसलिए अधिक है,क्योंकि इसे पाप विनाशिनी एकादशी भी कहा जाता है.इस व्रत को करने से पापों का नाश होता है. देवउठनी ग्यारस उत्तर भारत में काफी धूमधाम से मनाई जाती है. इस दिन घरों में गन्ने की पूजा के साथ तुलसी-विष्णु की विवाह के लिए मंडप बनाया जाता है. इस दिन ही मां तुलसी का विवाह भगवान सालिगराम (विष्णु जी) के साथ किया जाता है, इसकी कथा का पुराणों में उल्लेख मिलता है.

बता दें कि एकादशी के बाद शादियों का मौसम शुरू हो जाएगा. ज्योतिषियों के अनुसार इस साल होने वाली शादियां सफल रहेंगी.वर-वधू बहुत सुखी रहेंगे . इस साल में खरीदी गई कोई भी प्रापर्टी लाभ ही देगी. इस वर्ष आरम्भ किया गया कोई भी कार्य सुख और शांति की अनुभूति कराएगा. वैसे इस वर्ष नवंबर में 11,दिसंबर में 6 ,फरवरी में 5 और मार्च में 7 मुहूर्त शादियों के निकले हैं.

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