भारत में प्रचलित सिख धर्म जो की बहुत उदार माना जाता है, बता दे कि सिख धर्म का अवतारवाद में कोई विश्वास नहीं है. यानि सिख धर्म भगवान के अवतार होने की बात पर यकीन नहीं करता. सिख धर्म विरोध करता है कि भगवान अवतार लेते हैं या भगवान के कई रूप होते हैं. सिख धर्म की मान्यता अनुसार, भगवान ना तो जीवन लेते हैं और ना मृत्यु को प्राप्त होते हैं.
भगवान ऐसी शक्ति हैं जो सदैव संसार में व्याप्त है. सिख गुरुओं का इस बात पर विशेष जोर है कि भगवान के अवतार संबंधी चीजो में किसी का विश्वास ना हो क्योंकि भगवान एक ही है. यदि भगवान भी इंसान की तरह जीवन-मरण के चक्र में फंसेगे तो इंसान को इससे कौन बाहर निकालेगा.
सिख धर्म के अनुसार, भगवान के विषय में धारणाएं है. एक ओंकार यानि भगवान एक है, भगवान की कोई जाति न वर्ग है. भगवान सभी को प्राप्त हो सकते हैं. भगवान ऐसी शक्ति है जिन्हें प्राप्त करने के लिए किसी भी तरह के सहारे, साधु, जादू आदि की जरूरत नहीं है. सिख धर्म के अनुसार, एक ओंकार सतनाम यह सिर्फ एक मंत्र नहीं बल्कि सिख धर्म की मूल धारणा है, जो एकेश्वर में यकीन करता है. ईश्वर निरंकार और अकाल है.
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