माँ के दरबार से कोई नहीं जाता है खाली हाथ
माँ के दरबार से कोई नहीं जाता है खाली हाथ
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 माँ बम्लेश्वरी देवी का मंदिर रायपुर से करीब 75 किलोमीटर दूर राजनांदगांव जिले में स्थित है. कुदरती  रूप से चारों ओर से पहाड़ों से घिरे डोंगरगढ़ की सबसे ऊंची पहाड़ी पर मां का मंदिर स्थापित है. 

इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि जो भी माता के इस दरबार में आता है वो यहां से खाली हाथ वापस नहीं लौटता है. इसलिए यहां हजार से ज्यादा सीढ़ियां चढ़कर भक्त माता के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. वैसे इस पहाड़ी पर माँ बम्लेश्वरी देवी के दो मंदिर हैं. एक मंदिर पहाड़ी के नीचे स्थित है और दूसरा पहाड़ी के ऊपर. मां के इस दरबार में आनेवाले भक्त मां से जो भी मन्नत मांगते हैं, मां उसे पूरा करती हैं.

कहा जाता है की  उज्जैन के राजा विक्रमादित्य को मां बदलामुखी ने सपने में दर्शन दिया था जिसके बाद राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ की पहाड़ी पर कामाख्या नगरी के राजा कामसेन ने इस मंदिर की स्थापना की थी.एक और  मान्यता के अनुसार राजा कामसेन और विक्रमादित्य के बीच युद्ध हो रहा था तब विक्रमादित्य के आव्हान पर उनके कुल देवता उज्जैन के महाकाल कामसेन की सेना का विनाश करने लगे. इस विनाश को देखकर कामसेन ने अपनी कुलदेवी मां बम्लेश्वरी का आव्हान किया तो वो भी युद्ध के मैदान में पहुंचीं.

अगर आप भी अपनी किसी इच्छा को पूरी करने की कामना करते हैं तो माता के इस दरबार में आकर आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं.

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