माना जाता है कि मंगल ग्रह की उत्पत्ती धरती से ही हुई थी. मंगल को धरती पुत्र भी कहा जाता है. मध्यप्रदेश के धार्मिक पर्यटन नगर उज्जैन से ही इसकी उत्पत्ती मानी जाती है. दरअसल मंगलवार भूमि पुत्र मंगलदेव का ही वार माना जाता है. ज्योतिषीय मान्यता है कि यदि जन्मकुंडली के पहले, 4 थे, 6 ठे, 12 वें भाव में मंगल हो तो जन्मकुंडली में जातक मांगलिक हो जाता है. ऐसे में उसके विवाह में विलंब होता है तो दूसरी ओर उसे नौकरी में भी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
यदि जातक को भूमि, भवन, संपत्ती और संतान से संबंधित कोई भी कामना हो यदि जातक मंगलदेव को प्रसन्न कर लेता है तो उसका काम आसान हो जाता है. दरअसल उज्जैन में अतिप्राचीन मंगलनाथ मंदिर प्रतिष्ठापित है. जहां पर मंगलदोष निवारण के लिए भारत पूजन करवाया जाता है।
मंगल देव के भात पूजन से श्रद्धालुओं का मंगलदोष की पीड़ा से मुक्ति मिलती है और उनके काम बन जाते हैं. इतना ही नहीं यहां पर पितृदोष का निवारण भी किया जाता है. कई बार जातक को पितृदोष के चलते भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है यहां किए जाने वाले पूजन से जातक के पितृदोष का निवारण होता है। यहां पूजन के लिए मंगलवार का दिन अच्छा माना जाता है।
यदि भगवान मंगल के निवारण के लिए जरूरतमंद को लाल वस्त्रों का दान किया जाए, लाल रंग का भोज्य पदार्थ गरीबों को दिया जाए तो यह उत्तम होता है यही नहीं भगवान श्री मंगलदेव का कुमकुम से अभिषेक भी उत्तम फलदायी होता है।