धन प्राप्ति और सुख - समृद्धि के हेतु लक्ष्मी जी की आराधना का विशेष महत्व है। मां लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए शुक्रवार सबसे उपयुक्त वार है। कहा जाता है कि इस दिन माता लक्ष्मी थोड़े से पूजन से ही प्रसन्न हो जाती हैं। शुक्रवार को श्रद्धालु उपवास, आराधना और पूजन करते हैं। ऐसे में माता जल्द प्रसन्न होती हैं। लक्ष्मी जी के कुछ व्रतों में से एक है वैभव लक्ष्मी का पूजन। यह पूजन सात शुक्रवार का होता है। लगातार सात शुक्रवार के व्रत करने से श्रद्धालुओं को अभिष्ट की सिद्धि होती है। श्रद्धालु वैभव लक्ष्मी के व्रत करते हैं तो उन्हें धन, धान्य, सौभाग्य, ऐश्वर्य, कीर्ति, समृद्धि मिलती है।
यही नहीं श्रद्धालुओं को संपन्नता प्राप्त होती है। वैभवलक्ष्मी के व्रत के समापन पर श्रद्धालुओं को उद्यापन करना होता है। उद्यापन के दौरान 5 या इससे अधिक सुहागिनों को हल्दी - कुमकुम करना और उन्हें वैभवलक्ष्मी व्रत की पुस्तक देना बेहद शुभ माना जाता है। वैभव लक्ष्मी का व्रत करने के लिए शुक्रवार सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के साथ श्रद्धालु लक्ष्मी जी का स्मरण करें।
इसके बाद पूजन व उपवास करें। शाम के समय श्री लक्ष्मी यंत्र, लक्ष्मी जी के फोटो आदि का पूजन करें। उन्हें अक्षत, कुमकुम और हल्दी के साथ ही लाल पुष्प अर्पित करें। पूजन में एक कलश स्थापित कर उसका भी पूजन करें। इसके बाद श्री वैभवलक्ष्मी व्रत की कथा पढ़ें। कथा समाप्ति के बाद श्री वैभव लक्ष्मी के लिए खीर, अथवा अन्य पदार्थों का भोग लगाऐं। इसके बाद श्री लक्ष्मी जी का ध्यान भी करें। उनसे अपनी मनोकामना कहें। सात शुक्रवार व्रत करने पर आपकी मनोकामना जरूर पूर्ण होगी।