श्री गढ़कालिका, भूलोक पर शक्ति का जागृत स्वरूप
श्री गढ़कालिका, भूलोक पर शक्ति का जागृत स्वरूप
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यूं तो शक्ति के कई स्वरूप हैं। शक्ति और शिव के मिलन से ही इस सृष्टि में जीवन है। यही नहीं इस शक्ति का भूलोक पर कई स्थानों पर पूजन किया जाता है। माता के शक्तिपीठ तो करीब 52 स्थानों पर हैं लेकिन माता कई और स्थानों पर भी जागृत अवस्था में श्रद्धालुओं को दर्शन देती हैं। शक्ति का ऐसा ही एक स्वरूप है मध्यप्रदेश के अतिप्राचीन नगर उज्जैन में। जी हां,। अतिप्राचीन नगर श्री गढ़कालिका के टीलों पर बसा हुआ था।

मां गढ़कालिका का यह टीला काफी उंचा क्षेत्र था। यहां पर माता का अतिप्राचीन मंदिर है। माता यहां पर अपने सौम्य और रौद्र दोनों ही स्वरूपों में निवास करती हैं। दरअसल मां गढ़कालिका की इस प्रतिमा में माता हंसते हुए नज़र आती हैं। मान्यता है कि माता श्री गढ़कालिका महाकवि कालिदास की आराध्य हैं। माता का यह मंदिर बेहद जागृत है।

श्री गढ़कालिका मंदिर की स्थापना सम्राट विक्रमादित्य ने की थी, दरअसल नगर की रक्षा के लिए माता को नगर के परकोटे पर स्थापित किया गया था। माता यहां पर विराजकर नगर की रक्षा करती हैं। ऐसी मान्यता है। नवरात्रि में यह क्षेत्र बहुत ही चहल पहल वाला हो जाता है। यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। शुक्रवार को यहां पर श्रद्धालुओं की बहुत भीड़ होती है। 

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