सुस्थिर योग में उड़ाऐं अबीर - गुलाल, श्री गणेश करेंगे भक्तों को निहाल
सुस्थिर योग में उड़ाऐं अबीर - गुलाल, श्री गणेश करेंगे भक्तों को निहाल
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एक बार फिर देशभर में अबीर - गुलाल उड़ेगा और हर कहीं श्री गणपति बप्पा को विराजने का सिलसिला चलेगा। इस दौरान हर कहीं श्री गणेश जी के जयकारे गूंजेंगे। इस बार श्री गणेश चतुर्थी अपने आप में अनोखा प्रसंग लेकर आएगी। दरअसल इस बार भगवान श्री गणेश दुर्लभ मुहूर्त में विराजेंगे। दरअसल श्रीगणेश चतुर्थी का पर्व सुस्थिर योग में मनाया जा रहा है। इस योग में भगवान की स्थापना शुभ होती है। भगवान श्री गणेश की स्थापना के साथ इस मुहूर्त में खरीदी करना बेहद श्रेष्ठ माना जाता है। यह बेहद समृद्धिदायक है। इसी के साथ दस दिनों तक चलने वाले श्री गणेशोत्सव की शुरूआत हो जाएगी। यही नहीं इस उत्सव के साथ ही घर-घर श्री गणेश विराजेंगे वहीं पांडालों में गणेश भक्ति और विविध आयोजनों की धूम रहेगी। 

भगवान श्री गणेश जी स्वाति नक्षत्र और उच्च राशि कन्या के बुध के प्रभाव में विराजेंगे। जिस पर गुरूवार का संयोग बन रहा है। स्वाति नक्षत्र में गणेश चतुर्थी का आना शुभ संयोग है। यह सभी तरह की सिद्धियां देने वाला है। महा आनंदादियोग में सुस्थिर और ऐंद्र योग का आना पर्व को और विशेष बना रहा है। श्री गणेश जी की आराधना रिद्धि - सिद्धि के साथ समृद्धि प्रदान करने वाली है। यही नहीं भगवान श्री गणेश की स्थापना, पूजन और अभिषेक का विशेष महत्व है।

शास्त्रों में उल्लेख किया गया है कि मिट्टी के गणेश जिन्हें पार्थिव गणेश कहा जाता है उनकी स्थापना और पूजन बेहद पुण्यदायी माने गए हैं। इनका महत्व बहुत अधिक है। भगवान श्री गणेश की स्थापना दोपहर 12.09 से दोपहर 12.33 बजे तक मध्याह्नकाल का संयोग बताया गया है। प्रातः 6.14 बजे से 7.47 बजे तक श्री गणेश स्थापना का मुहूर्त शुभ माना गया है। प्रातः 10 .49 बजे से 12.21 बजे तक चंचल, दोपहर 12.21 बजे से 1.53 बजे तक लाभ और शाम 4.57 से शाम 6.29 बजे तक अमृत का योग है। 

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