शिरडी। कलियुग में परब्रह्म का अवतार कहे जाने वाले शिरडी के सांईबाबा को उनके श्रद्धालु हर समय याद करते हैं। शिरडी स्थित श्री सांईबाबा समाधि मंदिर में हर समय श्रद्धालु बाबा की एक झलक पाने के लिए कतार में लगे रहते हैं। श्री सांई बाबा के समाधि मंदिर, धुनि और जहां से भी भक्त उन्हें याद करते हैं वे तुरंत अपने श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी करते हैं।
श्री शिरडी के सांईबाबा से जुड़े उनके चमत्कृत अनुभवों को श्री सांई सच्चरित्र में वर्णित किया गया है। बाबा के श्रद्धालु सेवक दाभोलकर द्वारा रचित श्री सांईसच्चरित्र में बाबा के चमत्कार और श्रद्धालुओं के अनुभवों का वर्णन है साथ ही श्री सांईबाबा की शिक्षाओं का भी उल्लेख है। इसमें यह बताया गया है कि आखिर बाबा अपने श्रद्धालुओं को किस तरह का संदेश देते थे। कई बार वे अपने श्रद्धालुओं को मिलकर रहने का संदेश देते थे तो कई बार वे अपने भक्तों पर आने वाले संकट को पहले से ही जानकर उसका निवारण करते थे।
भगवान का श्री सांईसच्चरित पारायण करने और उसे अपने मन में आत्मसात करने से जीवन की हर बाधा दूर होती है। गुरूवार के दिन सुबह या शाम को संध्यापूजन के समय स्नान कर भगवान का श्री सांई सच्चरित्र पूजन किया जा सकता है। यह सांई सच्चरित्र अक्षत के उपर रखकर उसका पूजन किया जाए। बाबा श्री सांई की फोटो, मूर्ति का पूजन करें, उसे पुष्प, अक्षत, चंदन , धूप और दीप अर्पित करें। इसके बाद भगवान का स्मरण कर बाबा से अपने मन की कामना करें। इसके बाद श्री सांईसच्चरित्र का पारायण करें।
याद रहे श्री सांईसच्चरित्र का पारायण पूरा होने पर बाबा के चित्र के सामने कुछ दक्षिणा चढ़ाऐं ऐसे एक महिने में करीब 3 पारायण करें। पारायण पूरा होने पर श्री सांई बाबा के समक्ष अपनी मनोकामना व्यक्त करें और अर्पित की गई दक्षिणा से गरीब को कुछ दान करें, अथवा भोजन करवा दें या फिर श्री शिरडी सांई बाबा समाधि मंदिर में भेंट चढ़ा दें अथवा वहां बाबा का स्मरण कर गरीब की आवश्यकता यदि उससे पूरी होती हो तो वह पूरी कर दें।