मान सम्मान बढ़ाता है तृतीया तिथि का श्राद्ध
मान सम्मान बढ़ाता है तृतीया तिथि का श्राद्ध
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इन दिनों श्रद्धालु अपने पितरों को तृप्त करने में लगे हैं। पितरों की तृप्ति के निमित्त श्रद्धालुओं द्वारा आज द्वितीया तिथि का श्राद्ध किया गया वहीं बुधवार को तृतीया तिथि का श्राद्ध किया जाएगा। इस दौरान श्राद्ध के कुछ प्रकार भी निकलकर सामने आए हैं। मत्स्य पुराण में कहा गया है कि श्राद्ध के मुख्य तौर पर तीन प्रकार हैं। नित्य श्राद्ध, काम्य श्राद्ध, नैमित्यिक श्राद्ध। जी हां। नित्य श्राद्ध वह श्राद्ध होता है जो दैनिक श्राद्ध के तौर पर किया जाता है।

यह उदकतर्पण या तिलतर्पण से किया जाता है। यही नहीं नैमित्तिक श्राद्ध लिंगदेह के लिए किया जाता है। एकोदिष्ट प्रकार के श्राद्ध नैमित्तिक श्राद्ध हैं। काम्य श्राद्ध विशिष्ट कामनापूर्ति के उद्देश्य के लिए किया जाता है। इस श्राद्ध को काम्य श्राद्ध कहा जाता है। फलप्राप्ति के उद्देश्य को लेकर विशिष्ट वार, तिथि और नक्षत्र पर ही श्राद्ध करने से विशिष्ट फल की प्राप्ति होती है।

यही नहीं ये श्राद्ध जब अलग - अलग वार में आते हैं तो इनका अलग अलग फल मिलता है। यदि बुधवार केा पितरों की तिथि आती है और श्राद्ध किया जाता है तो सर्वकामनाओं की सिद्धि होती है। इससे आरोग्य मिलता है। तृतीया तिथि के श्राद्ध करने से पितरों का आशीर्वाद मान सम्मान में बढ़ोतरी को लेकर मिलता है। इससे अश्व की प्राप्ति होती है। 

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