हम सभी इस बात से वाकिफ हैं कि पितरों का ऋण चुकाना एक जीवन में तो संभव ही नहीं हो सकता है अतः उनके द्वारा संसार त्यागकर चले जाने के उपरांत भी श्राद्ध करते रहने से उनका ऋण चुकाने की परंपरा मानी जाती है. ऐसे में श्राद्ध से जो भी कुछ देने का हम संकल्प लेते हैं वह सब कुछ उन पूर्वजों को अवश्य प्राप्त मिल जाता है. ऐसे में श्राद्ध पक्ष सोलह दिन तक आश्विन मास की पूर्णिमा से अमावस्या तक रहता है और जिस तिथि में जिस पूर्वज का स्वर्गवास हुआ हो उसी तिथि को उनका श्राद्ध किया जाता है जिनकी परलोक गमन की तिथि ज्ञान न हो, उन सबका श्राद्ध अमावस्या को किया जाता है. ऐसे में उस समय पितृ प्रार्थना करते हैं जो यह होती है. ''हे प्रभु मैंने अपने हाथ आपके समक्ष फैला दिए हैं, मैं अपने पितरों की मुक्ति के लिए आपसे प्रार्थना करता हूं, मेरे पितर मेरी श्रद्धा भक्ति से संतुष्ट हो'. ऐसा करने से व्यक्ति को पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है.'' अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं इस दौरान आने वाली हर तिथि का महत्व.
हर तिथि का महत्व-
- कहते हैं जो पूर्णमासी के दिन श्राद्धादि करता है उसकी बुद्धि, पुष्टि, स्मरणशक्ति, धारणाशक्ति, पुत्र-पौत्रादि एवं ऐश्वर्य की वृद्धि होना शुरू हो जाती है.
- कहा जाता है प्रतिपदा धन-सम्पत्ति के लिए होती है एवं श्राद्ध करनेवाले की प्राप्त वस्तु नष्ट नहीं होती.
- वहीं द्वितीया को श्राद्ध करने वाला व्यक्ति राजा होता है और उत्तम अर्थ की प्राप्ति के अभिलाषी को तृतीया को यह कर सकते हैं.
- कहा जाता है चतुर्थी शत्रुओं का नाश करने वाली और पाप नाशिनी होती है.
- कहते हैं पंचमी तिथि को श्राद्ध करने वाला उत्तम लक्ष्मी की प्राप्ति करता है.
- वहीं षष्ठी तिथि को श्राद्धकर्म करने वाले की पूजा देवता लोग करते हैं.
- कहते हैं सप्तमी को श्राद्धादि करने वाले को महान यज्ञों के पुण्यफल मिलते हैं.
- कहा जाता है जो अष्टमी को श्राद्ध करता है वह सम्पूर्ण समृद्धियां प्राप्त करता है.
- कहते हैं नवमी तिथि को श्राद्ध करने से प्रचुर ऐश्वर्य एवं मन के अनुसार अनुकूल चलने वाली स्त्री मिलती है.
- कहते हैं दशमी तिथि को श्राद्ध करने वाला मनुष्य ब्रह्मत्व की लक्ष्मी हांसिल करता है.
- कहा जाता है एकादशी का श्राद्ध करने वाला समस्त वेदों का ज्ञान और ऐश्वर्य की प्राप्ति करता है.
- कहते हैं द्वादशी तिथि के श्राद्ध से राष्ट्र का कल्याण तथा प्रचुर अन्न की प्राप्ति हो जाती है.
- कहा जाता है त्रयोदशी के श्राद्ध से संतति, बुद्धि, धारणाशक्ति, स्वतंत्रता, उत्तम पुष्टि, दीर्घायु तथा ऐश्वर्य मिलता है.
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