'क्या 500 टन वजनी स्पेस स्टेशन को भारत पर गिरा दें ..?', अमेरिका से रूस का सवाल
'क्या 500 टन वजनी स्पेस स्टेशन को भारत पर गिरा दें ..?', अमेरिका से रूस का सवाल
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नई दिल्ली: अमेरिक के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेन पर हमला करने के बाद रूस पर कुछ प्रतिबंध लगाए हैं. इनमें से कुछ प्रतिबंध ऐसे हैं जो रूस के अंतरिक्ष अभियान (Space Program) को कमजोर कर देंगे. यूक्रेन पर हमला करने के कारण रूस और अमेरिका के बीच रिश्तों में फिर से दरार आ गई है. US के राष्ट्रपति ने कहा है कि हमारे लगाए प्रतिबंधों से रूस की इकॉनमी को बड़ा झटका लगेगा. बाइडेन ने आगे कहा कि हमारे प्रतिबंधों के कारण रूस की एयरोस्पेस इंडस्ट्री को बहुत नुकसान होने वाला है. इनमें रूसी सेना, मैरीटाइम इंडस्ट्री, आर्थिक संस्थान और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के करीबी लोगों पर भी प्रतिबन्ध लगाया गया है. 

वहाइट हाउस के मुताबिक, रूस के अंतरिक्ष कार्यक्रम पर सीधे तौर पर किसी प्रकार का बैन नहीं लगाया गया है. मगर कुछ बेहद संवेदनशील तकनीकों को रूस को निर्यात करने से रोक दिया गया है. इन तकनीकों का इस्तेमाल स्पेस इंडस्ट्री में होता है. अमेरिका ने रूस पर सेमीकंडक्टर्स, टेलिकम्यूनिकेशन, एनक्रिप्शन सिक्योरिटी, लेजर्स, सेंसर्स, नेविगेशन, एवियोनिक्स और मैरीटाइम तकनीकों के निर्यात पर प्रतिबन्ध लगाया है. ऐसे में अब बड़ा सवाल ये उठता है कि क्या अमेरिका के इस बैन से अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) पर जारी कार्यों पर क्या प्रभाव पड़ेगा. क्योंकि स्पेस स्टेशन, ऑर्बिटल यात्राओं और एस्ट्रोनॉट्स के प्रशिक्षण के लिए अमेरिका और रूस के बीच अनुबंध है. 

अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को लेकर US की स्पेस एजेंसी नासा (NASA) ने कहा कि स्पेस स्टेशन पर रूसी गतिविधियों पर कोई बैन नहीं लगाया गया है. NASA ने साफ़ तौर पर कहा है कि हम रूस की स्पेस एजेंसी के साथ अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन की सुरक्षा और अन्य अभियानों को पूरा करते रहेंगे. अमेरिका और रूस के बीच अंतरिक्ष में सिविल कॉपरेशन जारी रहेगा. रूस पर लगाई गई पाबंदियों का कोई प्रभाव अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन के कामकाज पर नहीं पड़ेगा. बता दें कि NASA का यह बयान ऐसे समय में आया है जब Roscosmos के निदेशक डिमित्री रोगोजिन ने कई ट्वीट करके अमेरिका से कहा था कि क्या आप ISS पर हमारी साझेदारी को खत्म कर देना चाहते हैं. यदि आप स्पेस स्टेशन पर समझौता को समाप्त करना चाहते हैं. तो फिर स्पेस स्टेशन को कौन बचाएगा. क्योंकि यह अनियंत्रित होकर अमेरिका या यूरोप पर गिर सकता है. एक विकल्प ये भी है कि 500 टन का एक यह स्टेशन भारत या चीन पर गिरा दिया जाए.

डिमित्री ने ट्वीट करते हुए सवाल किया कि क्या भारत और चीन को इस प्रकार के विकल्प की जानकारी देकर डरा दिया जाए? क्योंकि स्पेस स्टेशन रूस के ऊपर से नहीं उड़ता. क्या आप इस बात के लिए तैयार हैं. डिमित्री के इस ट्वीट के बाद NASA ने यह बयान दिया कि अमेरिका और रूस के संबंध स्पेस स्टेशन को लेकर खराब नहीं हो रहे हैं. वो मिलकर काम करेंगे.

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