लोकसभा में भाजपा की जीत राहुल के कमजोर नेतृत्व का नतीजा था
लोकसभा में भाजपा की जीत राहुल के कमजोर नेतृत्व का नतीजा था
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मुंबई : बिहार चुनाव के परिणाम के बाद से ही शिवसेना का भोंपू लगातार बज रहा है। शिवसेना आए दिन एक नए बयान से सबका ध्यान आकर्षित कर रही है। शिवसेना ने कहा है कि राजनीति में ‘धूर्तता’ हर बार काम नहीं आती और अगर वादे पूरे नहीं किए जाते तो आम आदमी तो जवाब देगा ही। सामना में प्रकाशित लेख में कहा गया है कि ‘‘कई बार एक लहर आती है और चली जाती है। एक बार यह चली जाती है तो फिर लहर का निशान भी नहीं दिखता। यह सच है कि भाजपा को लोकसभा चुनाव में भारी जीत मिली लेकिन उस जीत का श्रेय कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के कमजोर और अप्रभावी नेतृत्व को जाता है।’’

लोकसभा चुनाव पर शिवसेना ने लिखा है कि अखाड़े में कोई मजबूत दावेदार नही था, इसलिए बीजेपी बाहुबली बनकर उभर पाई। भाजपा पर तल्ख टिप्पणी करते हुए वो बोले कि भाजपा को लगता है कि उनके नेता महान है वेो कोई गलती कर ही नही सकते। बिहार में हुई हार पर सामना ने लिखा है कि सिद्धांतो की जीत हुई है और भाजपा के अहंकार की हार।

संपादकीय में यह भी कहा गया है कि भाजपा के नेता सुशील कुमार मोदी ने राजद सुप्रीमो लालू यादव को सलाह दी है कि वे बिहार चुनावों में जीत मिलने के बाद अपना घमंड त्याग दें। बीजेपी नेताओं को दूसरों को अहं के बारे में लेक्चर देते हुए देखना बहुत हास्यास्पद है। महाराष्ट्र और केंद्र दोनो मे सहयोगी दल शिवसेना समय-समय पर बीजेपी के ही खिलाफ होती रहती है। उनका कहना है कि किसी के भी पास लगातार चुनाव जीतने का फॉर्मूला नही है।

रोजमर्रा की चीजों के बढ़ते दामों का कारण भी शिवसेना ने बीजेपी को बताते हुए लिखा कि एक आम आदमी के छोटे-छोटे सपने होते है। महंगाई कंट्रोल में हो, उसके बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले, उसके सिर पर छत हो। उसे बस इतना ही चाहिए होता है।

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