एक बार फिर सामना के जरिये BJP पर भड़की शिवसेना
एक बार फिर सामना के जरिये BJP पर भड़की शिवसेना
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मुंबई: शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में एक बार फिर से बीजेपी को निशाने पर लिया है। जी दरअसल शिवसेना ने सामना में संपादकीय के जरिए बीजेपी पर तीखे हमले किये हैं। सामना में लिखा गया है कि, ''यूपी में हालत इतने खराब हो चुके हैं कि बीजेपी को जितिन प्रसाद के जरिए ब्राह्मण वोटों का सहारा लेना पड़ रहा है।'' इसके अलावा सामना में यह भी लिखा गया है कि, ''यूपी में बीजेपी से सवर्ण वोटर छिटक रहे हैं। अब तक राज्य में बीजेपी को किसी गणित या चेहरे की जरूरत नहीं पड़ी थी लेकिन अब ऐसा करना पड़ रहा है।''

वही आगे सामना में लिखा गया है कि, ''उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में बुरी तरह हारने वाले जितिन प्रसाद आखिरकार भाजपाई बन गए हैं। जितिन प्रसाद के आगमन का बीजेपी में जश्न मनाया जा रहा है। इसकी वजह उत्तर प्रदेश में चुनाव का जातीय गणित है। यदि उत्तर प्रदेश के ब्राह्मण वोटों पर प्रसाद का इतना प्रभाव था तो इन मतों को वे कांग्रेस की ओर क्यों नहीं मोड़ सके? इसका दूसरा अर्थ ये भी लगाया जा सकता है कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी समर्थक उच्च जाति के मतदाता अब उनसे दूर जा रहे हैं। अब तक उत्तर प्रदेश में बीजेपी को किसी और गणित व चेहरे की जरूरत नहीं पड़ी थी। सिर्फ नरेंद्र मोदी ही सब कुछ यही नीति थी। राम मंदिर या हिंदुत्व के नाम पर वोट मिल रहे थे। अब उत्तर प्रदेश में अवस्था इतनी खराब हो गई है कि जितिन प्रसाद के ब्राह्मण वोटों का सहारा लेना पड़ रहा है।''

इसके अलावा कांग्रेस की हालत पर संपादकीय में लिखा गया है, ''सवाल इतना ही है कि कांग्रेस पार्टी के बचे-खुचे दिग्गज भी अब नाव से धड़ाधड़ कूद रहे हैं। फिर यह सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही हो रहा है, ऐसा नहीं है। राजस्थान में अब सचिन पायलट ने पार्टी नेतृत्व को विदाई की चेतावनी दे दी है। सचिन पायलट और उनके समर्थक पहले से ही अप्रसन्न हैं और उनका एक पैर बाहर है ही। सचिन पायलट ने साल भर पहले बगावत ही की थी। उसे किसी तरह शांत किया गया, फिर भी असंतोष आज भी जारी ही है। पंजाब कांग्रेस में बड़ी फूट पड़ गई है और मुख्यमंत्री अमरिंदर के खिलाफ विरोधी गुट ने आरपार की लड़ाई छेड़ दी है। उस पर चिंता तब और बढ़ जाती है जब प्रसाद जैसे नेता पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो जाते हैं। इस पतझड़ से बची-खुची कांग्रेस को नुकसान हो रहा है।'' इसके अलावा भी सामना में बहुत कुछ लिखा गया है।

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