क्या आप जानते हैं शिव तांडव स्त्रोत के फायदे, रोज शुरू कर दें पढ़ना
क्या आप जानते हैं शिव तांडव स्त्रोत के फायदे, रोज शुरू कर दें पढ़ना
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हिंदू धर्म में भगवान शिव शंकर को सभी देवों में सबसे उच्च स्थान प्राप्त है। जी हाँ और यही वजह है कि वे देवाधिदेव महादेव कहलाते हैं। कहा जाता है शिव भगवान कालों के भी काल है और महाकाल हैं। जी हाँ और इनकी कृपा से बड़ा से बड़ा संकट भी टल जाता है। कहते हैं भगवान शिव को मनुष्य तो क्या देवी-देवता, सुर-असुर, सभी पूजते हैं। वहीं  पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, रावण भी महादेव का बड़ा भक्त था और रावण ने ही तांडव स्तोत्र की रचना की है। जी हाँ और इस स्तोत्र में रावण ने 17 श्लोक से भगवान शिव की स्तुति गाई है। वहीं शिव पुराण के अनुसार, एक बार अहंकारवश रावण ने कैलाश को उठाने का प्रयत्न किया। इसके बाद शिव जी ने अपने अंगूठे से पर्वत को दबाकर स्थिर कर दिया, जिससे रावण का हाथ पर्वत के नीचे दब गया। तब पीड़ा में रावण ने भगवान शिव की स्तुति की। रावण द्वारा गाई गई, यही स्तुति शिव तांडव स्तोत्र के नाम से जानी जाती है। ऐसी मान्यता है कि शिव तांडव स्तोत्र का पाठ अन्य किसी भी पाठ की तुलना में भगवान शिव को अधिक प्रिय है। अब हम आपको बताते हैं शिव तांडव स्तोत्र के फायदे पाठ करने की विधि।

शिव तांडव स्तोत्र के फायदे- ऐसी मान्यता है कि नियमित रूप से शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से कभी भी धन-सम्पति की कमी नहीं होती है। केवल यही नहीं बल्कि इस पाठ को करने से व्यक्ति का चेहरा तेजमय होता है, आत्मबल मजबूत होता है। इसके अलावा शिवतांडव स्तोत्र का पाठ करने से हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है। कहा जाता है महादेव नृत्य, चित्रकला, लेखन, योग, ध्यान, समाधी आदि सिद्धियों को प्रदान करने वाले हैं और इसी के चलते शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से इन सभी विषयों में सफलता प्राप्त होती है। इसी के साथ ऐसी भी मान्यता है कि जिन लोगों की कुण्डली में सर्प योग, कालसर्प योग या पितृ दोष लगा हुआ हो, उन्हें भी शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।

शिव तांडव स्तोत्र की विधि- प्रातः काल या प्रदोष काल में ही यह पाठ करना चाहिए। शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने के लिए सबसे पहले स्नानादि करने के पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पाठ करने के पहले भगवान भोलेनाथ को प्रणाम करें धूप, दीप नैवेद्य से उनका पूजन करें। ऐसी मान्यता है कि रावण ने पीड़ा के कारण इस स्तोत्र को बहुत तेज स्वर में गाया था। इसलिए आप भी गाकर शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करें। ऐसा कहते है कि नृत्य के साथ इसका पाठ करना सर्वोत्तम होता है, लेकिन तांडव नृत्य केवल पुरूषों को ही करना चाहिए। वहीं पाठ पूर्ण हो जाने के बाद भगवान शिव का ध्यान करें।

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