मुंबई : बिहार में मतदान की तारीखों की घोषणा होने के बाद ही राजनीति तेज हो गई है इस दौरान विभिन्न दल अपनी - अपनी जोर आजमाईश में लगे हैं माना जा रहा है कि इस बार बिहार में कांटे की टक्कर होगी। हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा सोची समझी रणनीति के तहत वोटों को बांटने में लगी है जिससे वोटों का धु्रवीकरण न हो। असदुद्दीन औवेसी के मैदान में उतरने के बाद अब शिवसेना ने बिहार विधानसभा चुनाव में अपने प्रत्याशी उतारने का निर्णय लिया है।
इस दौरान कहा गया है कि शिवसेना करीब 50 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। यही नहीं कहा गया है कि पार्टी भाजपा से सीधे तौर पर अपने प्रत्याशी उतारेगी। मिली जानकारी के अनुसार औवेसी की पार्टी एमआईएम के मैदान में आने से अल्पसंख्यक वोट मैदान में उतर सकते हैं। दूसरी ओर शिवसेना के मैदान में उतरने से भाजपा गठबंधन को भी जमकर नुकसान उठाना पड़ सकता है।
यही नहीं शिवसेना द्वारा बिहार में चुनाव लड़ने की घोषणा की गई जिसके बाद ये चर्चाऐं होने लगी कि भाजपा के साथ वह चुनाव लड़ सकती है। दूसरी ओर पार्टी के नेता संजय राउत ने कहा कि बिहार में भाजपा के साथ गठबंधन में कद्दावर लोग हें भाजपा के साथ लड़ने का प्रश्न नहीं है। हां शिवसेना जहां होगा वहां प्रत्याशियों को टिकट देकर अपनी शक्ति दिखाएगी।