गांधी परिवार की मुरीद हुई शिवसेना, ममता बनर्जी पर निकाली भड़ास
गांधी परिवार की मुरीद हुई शिवसेना, ममता बनर्जी पर निकाली भड़ास
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मुंबई: हमेशा से 'सामना' में लिखे गए लेख को लेकर चर्चाएं तेज होती हैं और अब इस समय शिवसेना के मुखपत्र में एक तरफ कांग्रेस की तारीफ की गई है तो वहीं ममता बनर्जी की तीखी आलोचना भी की गई है। जी दरअसल शिवसेना ने कहा कि हाल ही में महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे पर कांग्रेस देश भर में सड़कों पर उतरी थी, लेकिन ममता बनर्जी ने ऐसा नहीं किया। इसके अलावा शिवसेना ने सामना में यह भी लिखा कि, 'कांग्रेस हाल ही में देश भर में महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे के विरोध में सड़कों पर उतरी थी। कांग्रेस एकमात्र ऐसी पार्टी है जो महंगाई, बेरोजगारी, जीएसटी और 'ईडी' जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों के बेजा इस्तेमाल के खिलाफ लड़ रही है।'

जी हाँ और इस तरह शिवसेना ने एक तरफ कांग्रेस की तारीफ की है तो वहीं ममता बनर्जी पर हमला बोला है। जी दरअसल शिवसेना ने लिखा, 'यह तस्वीर बनाई गई है कि कांग्रेस सड़कों पर उतर रही है और यह आश्चर्य की बात है कि देश के अन्य विपक्षी दल इस पर ध्यान नहीं देते। 'ईडी' का बेजा इस्तेमाल, महंगाई, बेरोजगारी और आतंकवाद भारतीय लोकतंत्र का काला अध्याय है।' इसके अलावा शिवसेना ने कहा कि कांग्रेस की ताकत कम है, लेकिन यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि दिल्ली में सरकारी आतंक की परवाह किए बिना गांधी परिवार सड़कों पर उतर आया। यह अन्य विपक्षी दलों के लिए एक सबक है। आपको बता दें कि शिवसेना ने 'सामना' के जरिए एक अपील भी की है कि अगर कोई सच में डर से मुक्त है तो वह यह सबक सीखे। जी दरसल उप राष्ट्रपति चुनाव में यूपीए उम्मीदवार का समर्थन नहीं करने पर शिवसेना ने तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी से नाराजगी जताई है।

इसी के साथ शिवसेना ने कहा कि जब कांग्रेस दिल्ली में सड़कों पर उतरी तो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शायद दिल्ली में अपने राज्य के जीएसटी रिफंड की गुहार लगा रही थीं। केवल इतना ही नहीं शिवसेना का कहना है कि टीएमसी ने केंद्र सरकार के आगे सरेंडर कर दिया और इसीलिए उसने उपराष्ट्रपति चुनाव की वोटिंग में हिस्सा ही नहीं लिया। इसी के साथ शिवसेना ने कहा कि महंगाई और बेरोजगारी का संकट चरम पर है और इसके खिलाफ कांग्रेस सड़कों पर भी उतरी थी। लेकिन सवाल यह है कि अन्य विपक्षी दल कहां हैं? उनकी भूमिका वास्तव में क्या है? यह एक रहस्य है। वहीं अपने इस लेख में शिवसेना ने शरद पवार का जिक्र नहीं किया है, हालाँकि कांग्रेस के अलावा सभी विपक्षी दलों को लताड़ने को उनसे जोड़ा जा रहा है। ऐसे में यह कहा जा रहा है कि शिवसेना शरद पवार से नाराज है।

जी दरअसल इससे पहले भी संजय राउत पर शरद पवार की चुप्पी को लेकर जब उद्धव ठाकरे से सवाल पूछा गया था तो वह भड़क गए थे। वहीं शिवसेना ने अपील की है कि ऐसे समय में विरोधियों के लिए जरूरी है कि वे सारे मतभेद भुलाकर साथ आ जाएं। ईडी का 'आतंक' इसलिए बनाया गया है कि विपक्ष एक साथ न आए।

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