नागपंचमी पर जरूर करें शिव गायत्री मंत्र का जाप, दूर होगा कालसर्प-दोष
नागपंचमी पर जरूर करें शिव गायत्री मंत्र का जाप, दूर होगा कालसर्प-दोष
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सावन के महीने में नागपंचमी का त्यौहार बहुत धूम धाम से मनाया जाता है. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं नागपंचमी के दिन अगर आपकी कुंडली में कालसर्प योग है तो आपको क्या करना चाहिए. कालसर्प योग है तो आपको नागपंचमी के दिन किसी भी शिव मंदिर में नाग-नागिन का जोड़ा चढ़ा कर आएं और जोड़ा चांदी का, स्वर्ण का, पंचधातु का, तांबे का या अष्ट धातु का हो इस बात का ध्यान रखे. वहीं नागपंचमी के दिन ही शिव मंदिर में 1 माला शिव गायत्री का जाप (यथाशक्ति) करें एवं नाग-नागिन का जोड़ा चढ़ाएं तो पूर्ण लाभ मिलेगा.


शिव गायत्री मंत्र :

'ॐ तत्पुरुषाय विद्‍महे, महादेवाय धीमहि तन्नोरुद्र: प्रचोदयात्

ॐ अनन्तेशाय विद्महे महाभुजांगाय धीमहि तन्नो नाथः प्रचोदयात्

ॐ नवकुलाय विद्महे विषदंताय धीमहि तन्नो सर्प प्रचोदयात् 


कहते हैं आम दिनों में भी कालसर्प दोष से मुक्ति के उपाय किए जा सकते हैं और विशेषकर सोमवार को शिव मंदिर में जो जातक यह मंत्र चंदन की अगरबत्ती लगाकर एवं दीपक (तेल या घी) लगाकर जाप करता है, तो उसे अवश्य ही श्रेष्ठ फल प्राप्त होता है. इसी के साथ यह शिव गायत्री मंत्र सामान्य जातक भी अपने कल्याण के लिए जप सकता है क्योंकि इसके जाप मात्र से सब कष्ट कट जाते हैं.

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